दिवंगत साहित्यकारों को ऑनलाइन सभा के ज़रिये श्रद्धांजलि दी गई, जनवादी लेखक संघ सिंहभूम द्वारा  

Advertisements
Advertisements

जमशेदपुर: आज जनवादी लेखक संघ सिंहभूम के तत्वाधान में हाल-फिलहॉल दिवंगत हुए साहित्यकारों पर एक ऑनलाइन श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। आयोजन में मुख्य रूप से ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित पद्मविभूषण बांग्ला कवि शंख घोष, नरेंद्र कोहली, पद्मश्री मंजूर एहतेशाम, प्रख्यात कहानीकार व आलोचक रमेश उपाध्याय, प्रगतिशील शायर कुमार नयन, जनवादी लेखक संघ मध्य प्रदेश के पदाधिकारी एवं जाने -माने हिंदी ग़ज़लकार ज़हीर कुरैशी, परिकथा के चर्चित स्तंभ उर्दू जगत के स्तंभकार एवं हिंदी- उर्दू के चर्चित कथाकार मुशर्रफ आलम जौकी, चर्चित शायर कुंवर बेचैन तथा अन्य संस्कृतिकर्मियों को श्रद्धांजलि दी गई।

Advertisements
Advertisements

सबसे पहले जनवादी लेखक संघ सिंहभूम के सचिव श्यामल सुमन ने सम्मिलित रूप से साहित्यकारों को श्रद्धा सुमन अर्पित किया। उसके बाद सबसे पहले वक्त के रूप में दिल्ली से जुड़े पत्रकार व सुपरिचित कथाकार मज़कूर आलम ने शायर कुमार नयन की स्मृतियों को ताज़ा करते हुए एवं उन्हें मार्क्सवादी विचारधारा का हिमायती बताते हुए उनको श्रद्धांजलि दी। प्रगतिशील लेखक संघ के अहमद  बद्र ने मंजूर एहतेशाम के साहित्यिक अवदानों की चर्चा करते हुए उनकी रचना प्रक्रिया की चर्चा की। सृजन संवाद से डॉक्टर विजय शर्मा ने रमेश उपाध्याय को श्रद्धांजलि देते हुए अपनी बात रखी। उन्होंने रमेश उपाध्याय के बारे में बताते हुए इस बात का उल्लेख किया कि वे सिद्धांतों को न सिर्फ अपने जीवन में उतारते थे बल्कि उन्होंने अपने परिवार को भी उन सिद्धांतों और जनवादी मूल्यों से लैस करने का काम किया।

नरेंद्र कोहली पर अपनी बात रखते हुए ज्योत्स्ना अस्थाना ने बताया कि उनको जमशेदपुर में कई बार सुनने का अवसर मिला था।शैलेन्द्र अस्थाना ने भी अपने वक्तव्य से रमेश उपाध्याय को श्रद्धांजलि अर्पित की।अजय महताब ने मुशर्रफ आलम ज़ौकि को श्रद्धांजलि देते हुए बताया कि वे न सिर्फ हिंदुस्तान में बल्कि पाकिस्तान में और न सिर्फ हिंदी बल्कि उर्दू भाषा तथा पत्र- पत्रिकाओं में समान रूप से छपने वाले महत्वपूर्ण कथाकार थे। डॉक्टर उदय प्रताप हयात ने ज़ाहिद कुरैशी को हिंदी ग़ज़ल को दुष्यंत के बाद स्थापित करने का श्रेय देते हुए कहा कि उन्होनें ग़ज़ल के स्वरूप को ही बदल दिया। अंत में तापस चत्तराज ने कवि शंख घोष के महत्व को रेखांकित करते हुए बताया कि आधुनिक बंगला कविता में पांच पांडव कहे जाने वाले समूह के वो आखिरी कवि थे। उन्होंने मरते दम तक लेखनी और प्रगतिशीलता का दामन नहीं छोड़ा।

See also  आदित्यपुर: श्रीनाथ विश्वविद्यालय में सैन्य चिकित्सा अधिकारी ने छात्रों को नेतृत्व और अनुशासन के महत्वपूर्ण सबक दिए

अपने अद्यक्षीय वक्तव्य में अशोक शुभदर्शी ने सबका धन्यवाद किया। उन्होंने बाहर से जुड़े वक्ताओं तथा श्रोताओं के आभार प्रकट किया। कार्यक्रम का सफल संचालन सुजय भट्टाचार्य ने किया।

You may have missed