चिकित्सक के रिपोर्ट से सकते में अधिकारी,कार्यशैली पर लगने लगा सवालिया निशान,पेचिन्दा रिपोर्ट से नही मिल रहा पीड़िता को आपदा की राशि
बिक्रमगंज / रोहतास (संवाददाता ):-सूबे के स्वास्थ्य मंत्री सड़क से सदन तक लगातार यह दावा करते आ रहे है कि कोरोनकाल में एक भी मौत संसाधन के अभाव में नही हुई है और न ही अस्पतालों में संसाधन की कोई कमी होने दी गई है।लेकिन रोहतास जिले के बिक्रमगंज स्थित अनुमंडलीय रेफरल अस्पताल के चिकित्सक द्वारा कोरोनकाल में मृत एक ब्यक्ति को प्रमाण पत्र कोविड का देने की जगह कोविड सस्पेक्टेड(संदेहास्पद मौत) का निर्गत किये जाने से स्वास्थ्य मंत्री के सारे दावों पर प्रश्नचिन्ह लगने लगा है।क्योकि 24 घण्टे तक इलाजरत मरीज के संक्रमणकाल के दौरान जांच ही नही कराय जाने की बात सामने आ रही है। जिसका प्रमाण स्वयं जारी रिपोर्ट ही खुद व खुद बया कर रहा है।ततपशचात मरीज का मौत हो जाने के बाद चिकित्सक ने कोरोना का प्रमाण पत्र निर्गत करने के बजाय (कोविड सस्पेक्टेड)का जारी कर दिया गया है।यानी कोरोना से मौत हो भी सकता है और नही भी।बताया जाता है कि गुणवंती कुंवर के पति का मौत चार मई को रेफरल अस्पताल में हुई थी।तीन मई को सास फुलने एवं सुगर लेवल गिरने के शिकायत पर भर्ती कराया गया था। हैरतअंगेज कर देने वाली इस रिपोर्ट से अधिकारी भी खासे परेशान है।यह मामला तब प्रकाश में आया जब नगर परिषद बिक्रमगंज के वार्ड संख्या आठ धनगाई गांव निवासी गुणवंती कुंवर अपने पति को कोरोनकाल में खो देने के बाद मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष से अनुदान की निर्धारित राशि पाने के लिए सभी कागजातों के साथ अंचलाधिकारी बिक्रमगंज को आवेदन किया गया।अंचलाधिकारी ने कोरोना की जगह सस्पेक्टेड का प्रमाण पत्र होने की वजह से आवेदन को फिलहाल ठंडे बस्ते में रख दिया है।जिससे आगे की कोई करवाई नही हो पा रहा है।इस बाबत सीओ आलोक रंजन ने बताया कि मृतक का नाम जबतक कोरोना सूची में नही जुड़ता या स्पष्ट रूप से कोरोना का प्रमाण पत्र निर्गत नही होता तबतक आगे की कोई करवाई नही होगा।निमावली व प्रावधान के मुताबित सिर्फ कोविड से मौत होने वाले ब्यक्तियों के ही आश्रितों को देना है।लेकिन चिकित्सक द्वारा जारी रिपोर्ट समझ से परे है।वही अनुमंडल के एक अन्य वरीय अधिकारी ने नाम नही छापने के शर्त पर बताया कि यह कोविड सस्पेक्टेड का रिपोर्ट आश्रितों को आर्थिक, मानसिक व शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने वाला प्रतीत हो रहा है तथा सरकार सहित पूरे स्वास्थ्य ब्यवस्था को कटघरे में खड़ा कर कई सवालों को जन्म दे रहा है।बहरहाल मुआवजे की राशि पाने के लिए सरकारी कार्यालयों का चक्कर काटते परेशान पीड़ित पक्ष अपनी नाराजगी जताते हुए डीएम व सिविल सर्जन रोहतास समेत सूबे के मुखिया नीतीश कुमार को निबंधित डाक से पत्र भेजकर न्याय की गुहार लगाई है।