दरभंगा के जाले भी आयोजित इंटरनेशनल मुशायरा में शामिल हुई शहर की कवयित्री अंकिता सिन्हा
इस शहरे सितमगार में वफाएं नहीं मिलती …
जमशेदपुर(संवाददाता ):- बिहार के दरभंगा जाले मैदान में इंटरनेशनल मुशायरा का आयोजन किया गया। अध्यक्षता दुबई से आए सुल्तान सम्मी, संचालन जावेद इंकलाब अंसारी ने किया। इस मुशायरे में झारखंड के जमशेदपुर से युवा कवयित्री अंकिता सिन्हा, रांची से दिलशाद नज्मी, पटना से रानु रूही, बरेली उत्तर प्रदेश से सुल्तान जहाँ, नैनीताल से नाज़िया सहरी सहित एक दर्जन से भी अधिक कवि, कवयित्री, शायरो में एक से बढ़कर एक प्रस्तुति दी, जिससे माहौल काफी खुशनुमा हो गया। दरभंगा के जाने में आयोजित मुशायरे में लगभग 10000 कि संख्या में दर्शकों ने शेर, शायरी, गजल का लुफ्त उठाया। पूरा मैदान दर्शको की तालियों और वाहवाही से गूंजता रहा।इस मुशायरे में जमशेदपुर से आने हुई कवयित्री अंकिता सिन्हा ने एक से बढ़कर एक गजलों की प्रस्तुति देकर खून वाह वाही लूटी। अंकिता सिन्हा की प्रस्तुति के दौरान पूरा मैदान तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजता रहा। अंकिता सिन्हा ने शुरुआत इस गजल से की …हम सब से अलग सबसे जुदा ढूंढ रहे हैं, इक उम्र से जीने की अदा ढूंढ रहे हैं।। इस शहरे सितमगर में वफ़ाएँ नही मिलती, भोले हैं बहोत,आप भी क्या ढूँढ़ रहे हैं।। सब जानते हैं सब का ख़ुदा एक है, लेकिन पर लोग यहाँ अपना ख़ुदा ढूंढ रहे हैं।। जिस शक़्स को इक उम्र यहाँ खोजते गुज़री, उस शक़्स को हम अपने सिवा ढूंढ रहे हैं।। मिलता ही नही अंकिता ज़ख्मों के सिवा कुछ, क़ातिल के नगर,दुख की दवा ढूंढ रहे हैं।दूसरी प्रस्तुति…धड़कन है तेज़ प्यार के एज़हार के लिए, आँखें तरस रही तेरे दीदार के लिए।तू मुझ पे इक निगाह ही कर और जीत ले। मैं सामना करूंगी तेरा हार के लिए।। और इसके बाद मुझ से नज़रें अगर मिलाओगे,मेरी आँखों मे डूब जाओगे। ख़ुद ही प्यासे हो एक मुद्दत से, प्यास औरों की क्या बुझाओगे।।