टाटा स्टील फाउंडेशन ने ‘सरहुल’ थीम पर जोहार हाट का किया आयोजन
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जमशेदपुर: जोहार हाट, प्रति माह, साप्ताहिक रूप से चलने वाला, टाटा स्टील फाउंडेशन द्वारा आदिवासी शिल्प कौशल और संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिए प्रदान किया गया एक मंच है जो आज संपन्न हुआ। इस संस्करण की थीम ‘सरहुल’ पर आधारित थी, जो क्षेत्र में आदिवासियों द्वारा मनाया जाने वाला प्रकृति का त्योहार है।
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14 मार्च से शुरू हुए इस महीने के संस्करण में चार राज्यों और सात जनजातियों की भागीदारी देखी गई। मेघालय के बेंत उत्पाद, असम के सूखे फूलों के उत्पाद, पश्चिम बंगाल के मैट क्राफ्ट, झारखंड के लूमंग क्राफ्ट, झारखंड के पालो मुंडा टेक्सटाइल, पश्चिम बंगाल के दारीचा फाउंडेशन, झारखंड के ट्राइबल हीलर और झारखंड के मंडी एडप्पा और जनजातीय व्यंजन मुख्य आकर्षण थे।
इस साप्ताहिक हाट में 700 से अधिक लोग पहुंचे
सप्ताह के दौरान केन क्राफ्ट बेंडिंग एंड अटैचमेंट, मैट क्राफ्ट वीविंग, ड्राई फ्लावर मेकिंग और ट्राइबल हीलिंग प्रक्रिया पर कई कार्यशालाएं भी आयोजित की गईं। प्रदर्शित किए गए जनजातीय शिल्प कला के साथ ही विभिन्न प्रकार के लजीज आदिवासी व्यंजनों का भी लुत्फ उठाया गया, जिसमें ‘मड़वा’ का आटा और ‘खजूर गुड़’ के बना ‘मालपुआ’ भी शामिल था।
कदमा स्थित प्रकृति विहार में हर महीने आयोजित की जाने वाली इस प्रदर्शनी की परिकल्पना पूरे भारत में जनजातियों की कला, शिल्प, व्यंजन और संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिए एक समर्पित स्थान बनाने के लिए की गई थी। जोहार हाट का अगला संस्करण 14 अप्रैल से 20 अप्रैल, 2023 तक आयोजित किया जाएगा।
सरहुल के बारे में
सरहुल झारखंड, ओडिशा और छत्तीसगढ़ की जनजातियों, मुख्य रूप से उरांव, मुंडा और हो समुदाय द्वारा मनाया जाने वाला त्योहार है। इस त्योहार में वे पूजा करते हैं और अपने आराध्य, धरती माता (पृथ्वी की देवी) का आशीर्वाद लेते हैं। त्योहार आमतौर पर वसंत के मौसम में मनाया जाता है जब पेड़ और पौधे खिलने लगते हैं। त्योहार के मुख्य अनुष्ठान में शाल वृक्ष की पूजा शामिल है, जिसे जनजातियों द्वारा पवित्र माना जाता है। साल के पेड़ को फूलों, पत्तियों और फलों से सजाया जाता है और देवता को चावल, अनाज और मिठाई का भोग लगाया जाता है।
सरहुल आदिवासी समुदाय की एकता और एकजुटता का उत्सव भी है। यह एक ऐसा समय होता है जब लोग एक साथ नाचते, गाते और पारंपरिक व्यंजन जैसे ढुसका, पीठा और हंडिया का लुत्फ़ उठाते हैं। यह त्योहार आदिवासी संस्कृति का एक अनिवार्य हिस्सा है और समुदाय द्वारा बड़े उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाता है। जोहार हाट ने अपने मार्च संस्करण में सरहुल उत्सव के सार को अपने पारंपरिक तत्वों को अपने सजावटी तत्वों में शामिल करके प्रदर्शित किया। कार्यक्रम में परोसे जाने वाले व्यंजन सरहुल की भावना और इसके सांस्कृतिक महत्व को भी दर्शाते हैं।
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