विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष: हर 30 सेकेंड में एक इंसान की जान ले रहा है प्लास्टिक, बढ़ता प्रदूषण बना वैश्विक खतरा



हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है, लेकिन जिस गति से पर्यावरणीय संकट गहराता जा रहा है, वह बेहद चिंता का विषय है। ताज़ा रिपोर्टों के मुताबिक, हर 30 सेकेंड में प्लास्टिक से जुड़ा प्रदूषण एक इंसान की जान ले रहा है। यह आंकड़ा न केवल भयावह है, बल्कि यह हमारी जीवनशैली पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।


आज प्लास्टिक हमारे जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा बन गया है। चाहे वह पैकेजिंग हो, मेडिकल उपकरण हों, या रोज़मर्रा के घरेलू उत्पाद — प्लास्टिक हर जगह मौजूद है। लेकिन यह सुविधा अब एक मौत का कारण बनती जा रही है।
प्लास्टिक प्रदूषण: एक अदृश्य कातिल
विश्व स्वास्थ्य संगठन और पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार, प्लास्टिक से निकलने वाले रसायन और इसके जलने से उत्पन्न होने वाली गैसें न केवल वायु प्रदूषण फैलाती हैं, बल्कि जल स्रोतों को भी विषैला बना देती हैं। माइक्रोप्लास्टिक आज समुद्रों से लेकर हमारे भोजन और यहां तक कि हमारी सांसों में भी घुल चुका है।
जलवायु परिवर्तन में प्लास्टिक की भूमिका
वैज्ञानिकों का मानना है कि प्लास्टिक उत्पादन और निस्तारण से निकलने वाले ग्रीनहाउस गैसें जलवायु परिवर्तन की गति को तेज कर रही हैं। हर साल करोड़ों टन प्लास्टिक समुद्रों में फेंका जाता है, जिससे समुद्री जीवन भी खतरे में है।
क्या है समाधान?
विशेषज्ञों का कहना है कि अब समय आ गया है कि हम सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग पूरी तरह से बंद करें। साथ ही प्लास्टिक के विकल्प जैसे बायोडिग्रेडेबल उत्पादों को बढ़ावा देना जरूरी है।
