शिक्षक दिवस पर विशेष:जाने शिक्षक दिवस मनाने का इतिहास…
जमशेदपुर:(काजल कुमारी)-
गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वरा,
गुरु साक्षात परम ब्रह्मा तस्मे श्री गुरवे नमः
अर्थात गुरु ही ब्रह्मा है, गुरु ही विष्णु है, गुरु ही भगवान शंकर है, गुरु ही साक्षात परम ब्रह्मा है.
ये श्लोक उतना ही सच है जितना कि सूर्य और चंद्रमा का होना सच है। सभी गुरुओं को आज के इस शुभ दिन पर हमारा शत-शत नमन।
गुरु का हर किसी के जीवन में बहुत महत्व होता है इसी महत्वता को दर्शाने के लिए हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस के अवसर पर शिक्षकों के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए देशभर में शिक्षक दिवस मनाया जाता है। 1962 में पहली बार शिक्षक दिवस मनाया गया था।
शिक्षक का समाज में अपना एक विशेष स्थान होता है, भारत में प्राचीन समय से ही गुरु और छात्र की परंपरा चली आ रही है यह परंपरा भारतीय संस्कृति का एक अहम और पवित्र रिश्ता है। यह सच है कि हमारे माता-पिता हमें इस खूबसूरत सी दुनिया में लाते हैं और वे ही हमारे पहले गुरु होते हैं लेकिन जीने का असली सलीका हमें गुरु सिखाते हैं।गुरु का स्थान कोई और नहीं ले सकता है। शिक्षक उस माली के समान है, जो एक बगीचे को अलग- अलग रूप-रंग के फूलों से सजाते हैं, जो छात्रों को कांटों पर भी मुस्कुराकर चलने के लिए प्रेरित करते है। माता-पिता के बाद वो शिक्षक ही हैं जो शिष्यो को अपने से आगे बढ़ने पर खुश होते हैं।
इस दिन को मनाने के पीछे एक कहानी है और वो कहानी ये हैं कि… 5 सितंबर को ही हमारे देश के पूर्व राष्ट्रपति, विद्वान, महान दार्शनिक और भारत रत्न से सम्मानित डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन था। वो शिक्षा के प्रति अत्यधिक समर्पित थे और एक अध्येता, राजनयिक, भारत के राष्ट्रपति और खासतौर से एक शिक्षक के रुप में जाने जाते थे। एक बार, 1962 में वह भारत के राष्ट्रपति बने तो कुछ विद्यार्थियों ने 5 सितंबर को उनका जन्मदिन मनाने का निवेदन किया। उन्होंने कहा कि 5 सितंबर को मेरा जन्म दिन मनाने के बजाय क्यों नहीं इस दिन को अध्यापन के प्रति मेरे समर्पण के लिये शिक्षक दिवस के रुप में मनाया जाये। उनके इस कथन के बाद पूरे भारत भर में 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रुप में मनाया जाने लगा और आगे भी मनाया जाएगा।
इस दिन स्कूलों में पढ़ाई बंद रहती है स्कूलों में उत्सव, धन्यवाद और स्मरण की गतिविधियां होती हैं। बच्चे व शिक्षक दोनों ही सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेते हैं। स्कूल-कॉलेज सहित अलग-अलग संस्थाओं में शिक्षक दिवस पर विविध कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। छात्र विभिन्न तरह से अपने गुरुओं का सम्मान करते हैं, तो वहीं शिक्षक गुरु-शिष्य परंपरा को कायम रखने का संकल्प लेते हैं।स्कूल और कॉलेज में पूरे दिन उत्सव-सा माहौल रहता है।