सूर्यास्त के बाद पेड़-पौधों को न छूने या फूल-पत्ते न तोड़ने की परंपरा का वैज्ञानिक कारण
हिंदू धर्म में कई परंपराओं और मान्यताओं का पालन किया जाता है, जिनमें से एक है दिन ढलने या सूर्यास्त होने के बाद पेड़-पौधों की पत्तियां और फूल आदि को न तोड़ना। घर के बड़े-बुजुर्ग, विशेष रूप से दादी-नानी, बच्चों को शाम के समय पेड़-पौधों को छूने से मना करते हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और आज भी कई घरों में इस परंपरा का पालन किया जाता है।
शायद आपको यह बात अटपटी या मिथक लग सकती है, लेकिन इसके पीछे केवल धार्मिक मान्यता ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक कारण भी छिपा हुआ है। विज्ञान भी इसे सही मानता है और यह मान्यता इसलिए है कि रात के समय पेड़-पौधों में सूक्ष्मजीवों और कीटों की गतिविधि बढ़ जाती है, जिससे उनके संपर्क से शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
शास्त्रों में भी इसे लेकर चेतावनी दी गई है कि सूर्यास्त के बाद पेड़-पौधों से जुड़ी किसी भी तरह की गतिविधि से बचना चाहिए। दादी-नानी की यह परंपरा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे हम भविष्य में होने वाली अशुभ घटनाओं से भी बच सकते हैं। अगर हम इन बातों का पालन करेंगे, तो मानसिक शांति और स्वास्थ्य को भी लाभ होगा।