महिलाओं के सशक्तीकरण, जनसंख्या नीति, रोज़गार बढ़ाने और दलितों के साथ भेदभाव बंद करने की अपील, संघ प्रमुख मोहन भागवत
नागपुर (महाराष्ट्र) : नागपुर में आरएसएस के मुख्यालय में विजयादशमी के अवसर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अपने संबोधन में कहा कि भारत को जनसंख्या नियंत्रण कानून की बहुत ज्याद जरूरत है. अगर इस पर जरूरी कदम न उठाए गए तो देश ‘धर्म आधारित असंतुलन’ और ‘जबरन धर्मांतरण’ जैसे मामलों पर बंटेगा. उन्होंने कोसोवो और दक्षिण सूडान का हवाला दिया, जो आबादी में धर्मों के बीच असंतुलन के कारण उभरे हैं. उन्होंने हिंदी में अपने भाषण में कहा कि जनसंख्या नियंत्रण के साथ-साथ धार्मिक आधार पर जनसंख्या संतुलन भी महत्वपूर्ण है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.
जनसंख्या नीति व्यापक सोच-विचार के बाद तैयार की जाए और यह सभी पर समान रूप से लागू हो. यह सही है कि जनसंख्या जितनी अधिक उतना बोझ ज़्यादा. जनसंख्या का ठीक से उपयोग किया तो वह साधन बनता है. हमको भी विचार करना होगा कि हमारा देश 50 वर्षों के बाद कितने लोगों को खिला और झेल सकता है इसलिए जनसंख्या की एक समग्र नीति बने.
सर्वत्र पवित्रता व शान्ति स्थापन करने के लिए शक्ति का आधार अनिवार्य हैः डॉ. मोहन भागवत जी pic.twitter.com/jz0TvKrdfp
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भागवत बोले- शक्ति शांति का आधार है. हमें महिलाओं के साथ समानता का व्यवहार करने एवं उन्हें अपने निर्णय स्वयं लेने की स्वतंत्रता देकर सशक्त बनाने की आवश्यकता है. जो सब काम मातृ शक्ति कर सकती है वह सब काम पुरुष नहीं कर सकते, इतनी उनकी शक्ति है और इसलिए उनको इस प्रकार प्रबुद्ध, सशक्त बनाना, उनका सशक्तिकरण करना और उनको काम करने की स्वतंत्रता देना और कार्यों में बराबरी की सहभागिता देना अहम है.