संदीप मुरारका ने राज्यपाल को भेंट की 105 विशिष्ट जनजातीय व्यक्तित्व पुस्तक, राज्यपाल ने कहा :- प्रेरणास्त्रोत है आदिवासी
जमशेदपुर :- राज्य के आदिवासियों पर पुस्तक लिखनेवाले संदीप मुरारका और जैविक खेती के अग्रदूत क्रांति प्रकाश सह डॉ राम मनोहर लोहिया रिसर्च फाउंडेशन के अध्यक्ष अभिषेक रंजन सिंह ने झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन से मुलाकात की और आदिवासियों पर लिखी अपनी पुस्तक देश के 105 विशिष्ट जनजातीय व्यक्तित्व भेंट की. बताया कि इस पुस्तक में पद्म पुरस्कारों के सम्मानित छिहत्तर आदिवासी व्यक्तित्वों के साथ-साथ परमवीर चक्र, महावीर चक्र, ध्यानचंद अवार्ड और नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित विभूतियों का संक्षिप्त परिचय प्रकाशित है. राज्यपाल ने कहा कि आदिवासी हमारे लिये प्रेरणास्त्रोत हैं. क्योंकि परस्थितियों के विपरीत होने के बावजूद अपने कठिन संघर्ष से वे सफलताओं का परचम लहरा रहे हैं. शॉर्ट बॉयोग्राफी एवं फीचर के जरीये संदीप मुरारका लगातार प्रेरक आदिवासी चरित्रों से पाठकों को रु-ब-रु करा रहे हैं. उन्होंने 23 राज्यों की लगभग 52 जनजातियों के विख्यात आदिवासियों पर कॉफी टेबल बुक का लेखन किया है.
आदिवासियों के कार्यों पर की जा रही है पीएचडी , नृत्य, गीत, खेल में है अनुकरणीय योगदान
देश के 105 विशिष्ट जनजातीय व्यक्तित्व शीर्षक के नाम से प्रकाशित कॉफी टेबल बुक में वैसे आदिवासियों का परिचय समाहित है. भले स्वयं कभी स्कूल ना गए हों लेकिन आज उनके अनुकरणीय जीवन व कार्यों पर पीएचडी की जा रही है. जब भी हम आदिवासियों की बात करते हैं तो बताया जाता है कि उनकी दुनिया हाशिए पर है. वे भूखे-नंगे वंचित हैं. वे शहर कस्बे की बजाए जंगलों, नदी तालाब के पास या पर्वतों व कंदराओं में रहते हैं. वे दुनिया के तमाम आधुनिक सुख सुविधाओं से महरूम हैं. समाज की मुख्यधारा से अलग विचरते हैं. किंतु वास्तविकता में ऐसा कुछ नहीं है. जनजातीय संस्कृति सदैव से समृद्ध रही है और यह समुदाय सामाजिक गतिशील रहा है. शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र होगा जिसमें जनजातियों की महत्वपूर्ण भूमिका ना हो. विशेषकर संस्कृति, नृत्य, गीत, प्राकृतिक अनुसंधान, खेल एवं अन्य साहसिक कार्यों में इनका योगदान अतुलनीय है. संदीप मुरारका ने सफलतम आदिवासी व्यक्तित्वों पर लेखन कार्य किया है. इस सचित्र रंगीन पुस्तक का प्रकाशन हिंदी भाषा में कोलकाता के विद्यादीप फाउंडेशन की ओर से किया गया है. अंग्रेजी, ओड़िया, पंजाबी, मगही, भोजपुरी, संताली में अनुवाद प्रकाशनाधीन है. संदीप मुरारका पूर्व में भी आदिवासियों पर तीन पुस्तकों का लेखन कर चुके हैं. उनकी पुस्तकें ‘शिखर को छूते ट्राइबल्स भाग एक से तीन’ शोधार्थियों एवं यूपीएससी के छात्र-छात्राओं के मध्य काफी लोकप्रिय हो चुकी है. ऑनलाइन प्लेटफार्म पर बेस्टसेलर का दर्जा प्राप्त कर चुकी है. संदीप मुरारका का कहना है कि सफलता के लिये संसाधनों की नहीं बल्कि संकल्प की आवश्यकता है.