भारतीय अस्मिता का प्रतीक व परिचायक है गणतंत्र  दिवस,बलिदानों को दिलाता है याद,चहुओर लहराएगा शान से तिरंगा,तैयारी पूरी

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सासाराम (दुर्गेश किशोर तिवारी):- न्यायपालिका से लेकर कार्यपालिका तक ,सरकारी विद्यालयों से लेकर गैर सरकारी विद्यालयों, निजी प्रतिष्ठानों आदि जगहों पर जिले में आज चहुओर शान से तिरंगा लहराएगा।जिसकी तैयारी पूरी कर ली है है। गणतंत्र दिवस के मौके पर शान से झंडातोलन करने को लेकर हर जगह धूम मचा हुआ है।बाजार झंडा आदि सामग्रियों से पट चुका है।जहां खरीददारों का भारी भीड़ उमड़ते दिखा।हालांकि झंडात्तोलन को लेकर मंगलवार को पूरे दिन जगह जगह कार्यालयों में तैयारी चलता रहा।उल्लेखनीय है कि  सदियों से गुलामी की बेडियों में जकड़ा हमारा भारत वास्तव में जब अंग्रेजी शासन से मुक्त हुआ तो वह भाग्यशाली दिन 15 अगस्त, 1947 का था। लेकिन आजादी के बाद भी हम पूर्ण रूप से स्वतंत्र नही थे।क्योंकि हमारा कोई अपना संविधान नही था और तब भारत के महान नेताओं द्वारा एक ऐतिहासिक निर्णय लिया गया कि एक नये संविधान का निर्माण किया जायेगा जो स्वतंत्र भारत का अपना संविधान होगा ।इस प्रकार भारत को गणतंत्र बनाने के लिए जो नया और अपना संविधान बना उसके निर्माण में ढाई वर्ष लग गए और जब हमारा संविधान बनकर तैयार हो गया तो उसे सन 1950 की 26 जनवरी को इस देश में लागू किया गया |इसके अलावा स्वतंत्र भारत में लागू भारतीय संविधान में देश को एक जन – कल्याणकारी राज्य या गणतंत्र घोषित किया गया एवं सर्वोच्च संवैधानिक सत्ता के रूप में राष्ट्रपति का पद भी बनाया गया जो स्वतंत्र भारत के संविधान के अनुसार भारत का सर्वोच्च शासक राष्ट्रपति के नाम से पुकारा जाने लगा ।इस प्रकार की शासन व्यवस्था से भारत संसार का सबसे बड़ा स्वतंत्र गणतंत्र राज्य बन गया ।चूकी स्वतंत्रता के बाद भारत के ऐतिहासिक संविधान का निर्माण 26 जनवरी 1950 का दिन होने के कारण इस दिन का महत्व हर दृष्टि से हर स्तर पर बढ़ गया और तब से इस दिवस के महत्व को सम्मानित करने और ऐतिहासिक स्वतंत्रता को याद करने के लिए प्रत्येक वर्ष इस दिन को ‘गणतंत्र दिवस’ के नाम से एक राष्ट्रीय पर्व के रूप में बड़ी धूम – धाम से सारे देश में मनाया जाता है।वैसे तो स्वतंत्र भारत में अनेक प्रकार के राष्ट्रीय पर्व, त्योहार और उत्सव मनाये जाते हैं। पर गणतंत्र दिवस कई कारणों से उन सब में सबसे महत्वपूर्ण और गौरवशाली पर्व है। यह दिवस भारतीय अस्मिता का प्रतीक और परिचायक है।इस दिवस का महत्व सभी जाति और संप्रदाय के लोगों के लिए समान है। इसलिए यह दिवस आधुनिक भारतीय इतिहास के पन्नो में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है।ये तो गौरवमयी ‘गणतंत्र दिवस’ की अपनी गाथा और महत्व हमारे देश में स्वतंत्रता – प्राप्ति के पहले से यानि उन्हीं दिनों से प्रतिष्ठित है।जब तमाम भारतीय ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रहे थे।सन 1930 में जब स्वर्गीय पं. जवाहरलाल नेहरू एकमात्र राष्ट्रीय संस्था कांग्रेस के प्रधान या अध्यक्ष थे पर ब्रिटीश सरकार ने तब जलसे करने और जुलूस निकालने पर कठोर प्रतिबंध लगा रखा था।उस प्रतिबंध की परवाह न करते हुए 26 जनवरी को आधी रात के समय रावी नदी के तट पर उन्होंने तिरंगा झंडा लहराया और ये घोषणा की कि “आज से हम स्वतंत्र हैं।हमारी इच्छा है कि हम किसी  ब्रिटिश कानून को मानें अथवा नहीं ।तभी से सारे देश में 26 जनवरी का दिन ‘स्वतंत्रता दिवस’ के रूप में आजादी के बाद तक भी तब तक मनाया जाता रहा। जब तक हमारे संविधान और देश के पहले राष्ट्रपति की घोषणा के साथ – साथ देश को ‘गणतंत्र’ नहीं घोषित कर दिया गया ।इस घोषणा के बाद से ही, यह दिन सारे देश में ‘गणतंत्र दिवस’ के रूप में प्रतिवर्ष बड़ी धूमधाम से मनाते जाते रहा हैं ।‘गणतंत्र दिवस’ मनाने का उद्देश्य  नागरिकों को स्वतंत्रता को सदैव बनाए रखने की प्रेरणा देना है । देश में विभिन्नताओं में एकता, सहयोग, भाईचारे की भावना में वृद्धि करना है । यह दिन राष्ट्रीय स्वतंत्रता – प्राप्ति आंदोलन में किए गए संघर्षों और बलिदानों की भी याद दिलाता है और स्वतंत्रता हर मूल्य पर बनाए रखने की प्रेरणा देता है।गणतंत्र दिवस हमारी राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक है।

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