कल तक विरोध, आज रेड कार्पेट! सोरेन-अडाणी की ‘गुप्त’ मुलाकात पर भाजपा के तीखे सवाल बोले– ये रिश्ता क्या कहलाता है…

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लोक आलोक डेस्क/रांची/ झारखंड: राजनीति में कोई स्थायी मित्र या शत्रु नहीं होता, यह बात एक बार फिर साबित हुई जब झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उद्योगपति गौतम अडाणी की दो घंटे लंबी ‘गुप्त’ बैठक ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी। भाजपा ने इस मुलाकात पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) दोनों को कठघरे में खड़ा कर दिया है।

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भाजपा प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने तंज कसते हुए कहा, “चुनावों के दौरान जिस अडाणी का विरोध किया गया, आज उन्हीं के लिए रेड कार्पेट क्यों बिछाया जा रहा है? ये रिश्ता क्या कहलाता है?”

बंद कमरे में दो घंटे की ‘खनन कथा’

शुक्रवार को रांची में हेमंत सोरेन और गौतम अडाणी की एक बंद कमरे में बैठक हुई, जिसमें झारखंड में खनन अधिकारों पर चर्चा हुई। सूत्रों के मुताबिक, बातचीत का मुख्य विषय हजारीबाग और गोड्डा के कोयला ब्लॉकों से जुड़ा वाणिज्यिक खनन था, जो भूमि अधिग्रहण और कानूनी अड़चनों के कारण रुका हुआ है।

भाजपा ने इस मुलाकात पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। भाजपा प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा, “चुनावों के दौरान अडाणी पर हमले सिर्फ जनता को गुमराह करने के लिए किए गए थे। अब जब गुप्त बैठक हो रही है, तो यह साफ है कि ये विरोध सिर्फ एक राजनीतिक नाटक था।”

JMM-कांग्रेस का पलटवार: “हमने व्यक्तियों का नहीं, नीति का विरोध किया”

इस बैठक के बाद JMM और कांग्रेस ने सफाई देते हुए कहा कि उनका विरोध गौतम अडाणी से नहीं, बल्कि भाजपा सरकार की उन नीतियों से था जो गरीबों, किसानों और आदिवासियों के हितों के खिलाफ थीं। JMM प्रवक्ता मनोज पांडेय ने कहा, “अगर कोई निवेश राज्य के विकास और रोजगार बढ़ाने के लिए आ रहा है, तो उसका स्वागत है। लेकिन हम भाजपा की ‘पूंजीपतियों की गुलामी’ वाली नीति का विरोध करते रहेंगे।”

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‘राजनीति का कोयला’ कितना काला?

अब सवाल यह उठता है कि क्या यह बैठक महज एक निवेश चर्चा थी, या फिर सियासत के रंगमंच पर कोई नया ‘सौदा’ तय हुआ? भाजपा जहां इसे अवसरवादी राजनीति का प्रमाण मान रही है, वहीं JMM इसे विकास से जोड़ रही है।

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