जमशेदपुर अस्पताल में 27 घंटे तक इलाज के बिना गर्भवती महिला का बच्चा मृत, NHRC ने झारखंड सरकार से मांगा जवाब…

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जमशेदपुर:झारखंड के जमशेदपुर स्थित एमजीएम अस्पताल में प्रसव पीड़ा से जूझ रही एक गर्भवती महिला को 27 घंटों तक इलाज ना मिलने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने इस घटना का संज्ञान लेते हुए झारखंड सरकार को नोटिस जारी किया है और 7 दिन के भीतर इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।

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यह नोटिस उन मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर जारी किया गया है, जिनमें दावा किया गया था कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से रेफर की गई गर्भवती महिला को एमजीएम अस्पताल में लगभग 27 घंटे तक भर्ती नहीं किया गया। इस दौरान उसे फर्श पर लेटना पड़ा, क्योंकि अस्पताल में बिस्तर उपलब्ध नहीं थे। इलाज में देरी के चलते महिला के गर्भ में ही उसके बच्चे की मौत हो गई। रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक अन्य गर्भवती महिला का भी इलाज फर्श पर किया गया, हालांकि वह सुरक्षित रूप से बच्चे को जन्म दे पाई।

NHRC ने अपने बयान में कहा कि यदि मीडिया रिपोर्ट्स में दी गई जानकारी सही है, तो यह मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन है। आयोग ने इस मामले को अत्यंत गंभीरता से लिया है और झारखंड सरकार से इस घटना के संबंध में विस्तृत जानकारी मांगी है। इसमें पीड़ित महिला की वर्तमान स्वास्थ्य स्थिति, अस्पताल में बिस्तरों की उपलब्धता और अन्य चिकित्सा सुविधाओं पर भी रिपोर्ट मांगी गई है।

आयोग ने यह भी निर्देश दिए हैं कि राज्य सरकार द्वारा पीड़ित परिवार को कोई मुआवजा दिया गया है या नहीं, इस बात का भी रिपोर्ट में उल्लेख किया जाए। इस मामले के बाद राज्य के स्वास्थ्य तंत्र की खामियों पर सवाल उठ रहे हैं और यह घटना झारखंड में सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं की वास्तविक स्थिति को उजागर करती है।

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इस मामले में झारखंड सरकार पर भी तेजी से कार्रवाई करने का दबाव बढ़ रहा है। सरकार से अपेक्षा की जा रही है कि वह NHRC के नोटिस का उचित जवाब दे और इस मामले में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करे।

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