जनसंख्या : भारत के लिए वरदान या अभिशाप विषय पर वीमेंस कॉलेज में राष्ट्रीय वेबिनार संपन्न
जमशेदपुर : विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर वीमेंस कॉलेज के अर्थशास्त्र विभाग की तरफ से रविवार को राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। जनसंख्या : भारत के लिए वरदान या अभिशाप विषय पर केन्द्रित इस वेबिनार की मुख्य आयोजक केयू की पूर्व कुलपति सह वीमेंस कॉलेज की प्राचार्या प्रोफेसर शुक्ला महांती ने वक्तागण का स्वागत किया। उन्होंने विषय प्रवेश कराते हुए सतत विकास और जनसंख्या वृद्धि के संदर्भ में बातें रखीं। कहा कि वर्तमान परिदृश्य में महामारी के दौरान हम सभी बड़ी आबादी को एक समस्या के तौर पर देखते हैं। झारखंड के संदर्भ में जनसांख्यिकीय विशेषताओं से पता चलता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंख्या नियंत्रण पर गंभीरता से काम करने की जरूरत है। संत कोलंबा काॅलेज, हजारीबाग के अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष व रिसोर्स पर्सन डॉ. सोमक बिस्वास ने भारतीय जनसांख्यिकी विषय पर विचार रखे। उन्होंने जनसंख्या को फ्यूचरिस्टिक या ऑब्सट्रक्टिव पैमाने पर मूल्यांकित किया। कहा कि पिछली शताब्दी में भारत में बुनियादी जनसांख्यिकीय प्रवृत्तियों को निर्धारित किया गया था। उन्होंने वैश्विक मानकों के साथ देश के जनसांख्यिकीय मापदंडों का तुलनात्मक मूल्यांकन किया और जनसांख्यिकीय लाभांश को उपयोगी बनाने की जरूरत बताई। उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर उचित योजना और नीति का कार्यान्वयन नहीं किया जाता है तो बड़ी आबादी एक जनसांख्यिकीय आपदा है। यह राष्ट्र के हित में है कि मानव, भौतिक और वित्तीय पूंजी को आधुनिक प्रकाश में पुनर्गठित किया जाए ताकि इस बड़ी आबादी का अधिकतम लाभ उठाया जा सके। तभी बड़ी आबादी को अभिशाप नहीं वरदान कहा जा सकता है। आरडी काॅलेज, मुंगेर की अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष डाॅ. नवलता ने जनसंख्या वृद्धि को पितृसत्तात्मक भारतीय समाज, जातिगत, राजनीति, लैंगिक भेदभाव से जोड़कर बातें रखीं। मुख्य वक्ता मगध महिला काॅलेज की अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष डाॅ. पुष्पा सिंहा ने कहा कि जनसंख्या वरदान और अभिशाप दोनों है। हम आर्थिक लाभ के लिए जनसंख्या वृद्धि का सर्वोत्तम उपयोग कर सकते हैं। भारत जैसा देश जहां इसका दुनिया में सबसे बड़ा जनसांख्यिकीय लाभांश है, इन संसाधनों का कुशलता से उपयोग करके विकास की ओर बढ़ सकता है। यदि उचित कौशल, शिक्षा, प्रशिक्षण, उचित स्वास्थ्य और पोषण के साथ उपयोग किया जाए तो यह देश को सबसे समृद्ध बना सकता है। लेकिन भारत में बहुत से ऐसे युवा हैं जो अकुशल हैं। बेरोजगार हैं। इसलिए उनका योगदान न्यूनतम है। युवा जनसंख्या जनसांख्यिकीय लाभांश तभी है जब युवा कुशल रोजगार के योग्य हों और अर्थव्यवस्था में योगदान दे रहे हों। भारत को चीन और जापान जैसे देशों से सीखना चाहिए जो विभिन्न उपायों के माध्यम से अपनी जनसंख्या को नियंत्रित करने में सक्षम हैं। यह आपदा भारत के लिए अपनी जनसांख्यिकीय संपदा के सर्वोत्तम तरीके से उपयोग करने और दुनिया की महाशक्तियों में से एक बनने का समय है। कार्यक्रम का संचालन व संयोजन अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष डाॅ. रत्ना मित्रा ने व धन्यवाद ज्ञापन डाॅ. अंतरा कुमारी ने किया। तकनीकी सहयोग ज्योतिप्रकाश महांती, तपन कुमार मोदक और के. प्रभाकर राव ने किया।