Advertisements
Advertisements

बड़े ही प्यार से अपने युवा होली मनाते हैं।

Advertisements
Advertisements

बड़े ही प्यार से अपने युवा होली मनाते हैं,
ज़रा सा दारू पीते हैं ज़रा डीजे बजाते हैं।

पहनकर मास्क भालू के करें हरकत वो बंदर की,
बजाकर हॉर्न सड़कों पे युवा गाड़ी चलाते हैं।

लगाकर रंग चेहरे पर निकलते हैं वो टोली में,
जहां देखी कोई लड़की फुहर सा गीत गाते हैं।

जो घर पे हैं वो मैसेंजर पे ही उल्जुल लिखा करते,
किसी भद्दी सी गाने पर कई विडियो बनाते हैं।

युवा तो मन बढू माना ये बूढ़े कम नहीं उनसे,
किसी कम उम्र की लेडी को ये फगुआ सुनाते हैं।

मिठी मुस्कान लेके लड़कियों को ताड़ते रग रग,
नज़र रंगीन करते हैं पुआ का स्वाद पाते हैं।

हुए चालीस के जो लोग मस्ती उनकी मत पूछो,
मियां बीवी के जैसे कितने रिश्ते ये निभाते हैं।

हैं इनके फेस बुक पे धर्म इंस्टाग्राम पे जलवे,
असल होली के गुलछर्रे यही तबके उठाते हैं।

रहेंगे साथ बीवी के करेंगे याद बीते दिन,
उठा के रंग राधे नाम रुक्मणि को लगाते हैं।

भटकते हैं कई बंदे पड़ोसन दर पड़ोसन भी,
कहेंगे हैपी होली और फिर भर पेट खाते हैं।

हमारा क्या के हम तो चुपके से छत पे ग़ज़ल गाएं,
सहेली आती बीवी की उतर कर नीचे आते हैं।

संतोष कुमार चौबे।

See also  टाटा स्टील जमशेदपुर हाफ-मैराथन 2024 की दूसरी प्रेस कॉन्फ्रेंस

Thanks for your Feedback!

You may have missed