या देवी सर्व भूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता,मां दुर्गा का खुला पट, दर्शन को उमड़ी भीड़
दावथ /रोहतास (चारोधाम मिश्रा):-शारदीय नवरात्र के अवसर पर मंगलवार सप्तमी को मां दुर्गा का पट खुलते ही दर्शन को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी पड़ी। विधिविधान से मां की पूजा-अर्चना की। परिवार के साथ लोगों ने पूजा पंडाल जाकर मां का दर्शन भी किया। दावथ,कोआथ मालियाबाग, बभनौल,जमसोना सहित कई जगहों पर माँ का पट खुलते ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी।पंडितों के अनुसार सप्तमी को मां की कालरात्रि स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है। मां दुर्गा की सातवीं शक्ति का नाम कालरात्रि है। नवरात्र के सातवें दिन इनकी उपासना व पूजन करने की परंपरा रही है। पूजा कमेटी सदस्यों की उपस्थिति में पुरोहित ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ मां दुर्गा का आह्वान कर प्रतिमा स्थापित किया गया। माता के सातवें रूप का वर्णन करते हुए आचार्य पंडित चारोधाम मिश्रा ने बताया कि इनके शरीर का रंग अंधकार की तरह गहरा काला है। गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला है। इनके तीन नेत्र ब्रह्माण्ड की तरह गोल हैं, जिनसे विद्युत की ज्योति चमकती रहती है। नासिका के श्वास-प्रश्वास से अग्नि की भयंकर ज्वालाएं निकलती हैं। इनका वाहन गर्दभ (गदहा) है। माँ कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यन्त भयानक है, लेकिन ये सदैव शुभ फल प्रदान करती हैं। इसी कारण इन्हें शुभंकरी भी कहते हैं। मां कालरात्रि के दिव्य स्वरूप का ध्यान हमें लोभ, स्वार्थपरतता जैसी आसुरी शक्तियों से निजात दिलाकर हमें आत्मकल्याण के मार्ग पर चलने की राह दिखाता है। यह हमारे आलस्य व अहंकार आदि को नष्ट करके हमें सत्मार्ग पर चलने की सामर्थय प्रदान करती है। मां के देवी स्वरूप का ध्यान हमें जीवन के गहन अंधकार में भी आशा व विश्वास की ज्योति को सदा जलाये रहने का संदेश प्रदान करता है। माँ के श्री चरणों में शरणागत होने मात्र से हमारे समस्त पापों व कष्टों का समूल नाश हो जाता है तथा हमें अलौकिक शांति की अनुभूति होती है। जिन लोगों ने घर में कलश स्थापन की है, वे घरों में पूजा-अर्चना में व्यस्त रहे। पंडितों के सानिध्य में दुर्गासप्तशती पाठ कर विधिपूर्वक मां दुर्गा की पूजा-अर्चना की। आरती के बाद लोगों के बीच प्रसाद वितरण किया गया।