अब स्कूली शिक्षा से ही होगा बेहतर भविष्य का निर्माण
दिल्ली:- स्कूलों को खोला जाना निश्चित रूप से न केवल राजधानी दिल्ली के लिए आवश्यक है, बल्कि संपूर्ण राष्ट्र के लिए यह महत्वपूर्ण है, जब दुनिया में कोरोना अपने चरम पर था, तब भी कई देशों के लिए स्कूल और पढ़ाई प्राथमिकता में शुमार था,किताबी ज्ञान ही नहीं जीवन कौशल का भी पढ़ते हैं पाठ : हमारे नीति निर्धारकों ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति में तकनीकी-शिक्षा तथा व्यावसायिक-शिक्षा की दूरदर्शी सोच को शामिल किया। यही वजह है कि महामारी को भी भारतीय सोच और लगन के आगे हथियार डालने पड़े और एक नवाचार के साथ राष्ट्र अपने नौनिहालों को शिक्षित-प्रशिक्षित करने निकल पड़ा।
अब धीरे-धीरे सब कुछ सामान्य हो रहा है। बाजार, पार्क और शापिंग माल सब खुल चुके हैं। जब सब कुछ सामान्य हो गया है तो फिर स्कूल खोलने में क्या दिक्कत है। डेढ़ साल से अधिक हो गए बच्चे स्कूल नहीं गए हैं,राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद के सचिव मेजर हर्ष कुमार ने बताया कि कुछ छात्र ऐसे भी है जो इस दौरान शिक्षा प्राप्त ही नहीं कर पाए, क्योंकि आनलाइन पढ़ने के लिए उनके पास स्मार्टफोन और इंटरनेट कनेक्टिविटी की उपलब्धता नहीं है।
पढ़ाई से दूर होने के बाद इन बच्चों की मानसिक स्थिति क्या होगी, ये आप सोच भी नहीं सकते। कई राज्यों ने नौवीं से 12वीं तक के छात्रों की कक्षाएं शुरू कर दी हैं, लेकिन प्राथमिक विद्यालय अभी भी बंद हैं। ऐसे में मेरा मानना है कि छात्रों की भलाई के लिए स्कूल खुलना बेहद जरूरी है। स्कूल खोलने में हम वैसे भी देरी कर चुके हैं। स्कूल में जाकर बच्चा न सिर्फ किताबी ज्ञान हासिल करता है, बल्कि जीवन कौशल की शिक्षा और सामाजिकता भी सीखता है। अब बच्चे भी चाह रहे हैं कि वे स्कूल जाकर सहपाठियों और शिक्षकों से मिलें। सहपाठियों के साथ उठने बैठने से छात्रों में प्रतिस्पर्धा का भाव बना रहता है। बोर्ड के छात्रों में इस भाव का होना आवश्यक है। तभी वो परीक्षा में अपना 100 फीसद दे पाएंगे।