6 अप्रैल को राष्ट्रीय संत जीयर स्वामीजी महाराज का होगा आगमन।
दावथ (रोहतास):- दावथ प्रखण्ड के बभनौल गांव में आयोजित माँ यक्षिणी भवानी के प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष्य में नव कुण्डीय श्री शतचण्डी महायज्ञ को लेकर सोमवार को भव्य शोभायात्रा व कलश यात्रा निकाली गई। गाजे बाजे के साथ कलश यात्रा में महिलाएं और पुरुष श्रद्धालुओं की काफी भीड़ रही। इस दौरान देवी-देवताओं की जय-जयकार से पूरा क्षेत्र भक्तिमय हो गया। कलश यात्रा बभनौल गाँव स्थित यज्ञ स्थल से प्रारंभ होकर काव नदी तट पर पहुंचा। जहां पर यज्ञ कार्यक्रम में आचार्य ब्रज किशोर पाण्डेय ,रामजी तिवारी, सहित कई महापंडितों व विद्वानों के द्वारा मंत्रोच्चारण के साथ विधि-विधान से पूजा-अर्चना कराकर विधिवत पूजा-अर्चना के बाद कलश में जल उठाया गया। कलश यात्रा पुनः यज्ञ स्थल पर पहुंचा जहां परिक्रमा के पश्चात कलश स्थापित किया गया। यज्ञ को लेकर लोगों में उत्साह का माहौल है। कलश यात्रा व मंडप प्रवेश के साथ ही सात दिवसीय नव कुण्डीय श्री शतचंडी महायज्ञ प्रारंभ हो गया। शोभायात्रा के साथ कलश यात्रा को सफल बनाने में यज्ञ समिति के लोगों ने जगह-जगह पर कमेटी के लोगों को लगाया था। बताते चलें कि आज जल यात्रा व मंडप प्रवेश के साथ है महायज्ञ प्रारंभ हुआ।
वहीं शाम को दूर दराज से आए साधु संतों के द्रारा प्रवचन प्रस्तुत की जाएगी। यज्ञ समिति के अध्यक्ष गुप्तेश्वर चौधरी ने बताया कि यज्ञ का शुभारंभ 4 अप्रैल से कलश यात्रा के साथ शुरू हो गया जो 10 अप्रैल को पूर्णाहुति के साथ सम्पन्न होगा। वही आचार्य रामजी तिवारी ने बताया कि यज्ञ होने से पूरा वातावरण शुद्ध हो जाता हैं।समय- समय पर यज्ञ व धार्मिक समारोहों के आयोजन से लोगों की श्रद्धा गहरी होती है और सामाजिक स्तर पर प्रेम भाव में वृद्धि होती है।यज्ञ योग की विधि है जो परमात्मा द्वारा ही हृदय में सम्पन्न होती है।जीव के अपने सत्य परिचय जो परमात्मा का अभिन्न ज्ञान और अनुभव है, यज्ञ की पूर्णता है।यह शुद्ध होने की क्रिया है।इसका संबंध अग्नि से प्रतीक रूप में किया जाता है। जहाँ- जहाँ यज्ञ होता हैं वहाँ-वहाँ का वातावरण पवित्र एवम शुद्ध हो जाता हैं।यज्ञ से पूरा समाज पवित्र एवम शुद्ध हो जाता हैं। जिस जगह पर यज्ञ होता हैं वह जगह पवित्र हो जाता हैं। इस जल यत्रा डॉ प्रकाश चतुर्वेदी,कामेश्वर चौधरी, ललन चौबे,बूटन चौबे,सभाचन्द चौधरी सहित कई लोग शामिल थे।