गुजरात का नागेश्वर ज्योतिर्लिंग: भगवान शिव को समर्पित ये मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से 10वे क्रम में माना जाता है…
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग : (Shreya )- नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात में सौराष्ट्र के किनारे पर द्वारका शहर और बेयट द्वारका द्वीप के रास्ते पर हैं। भगवान शिव को समर्पित यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक हैं। नागेश्वर ज्योतिर्लिंग दर्शन में आप भगवान शिव की 25 मीटर लम्बी एक बैठी हुई मूर्ति के दर्शन कर सकते हैं। मंदिर की मूर्ती काफी मोटी हैं इसलिए इसे मोटेस्वर के नाम से भी जाना जाता हैं। मंदिर के पास एक बड़ा उद्यान भी हैं जहां पर्यटक आराम कर सकते हैं। नागेश्वर ज्योतिर्लिंग को ‘दारुकवाना’ के नाम से भी जाना जाता हैं,जोकि भारत में एक प्राचीन महाकाव्य का नाम है।
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर गुजरात के द्वारका शहर में स्तिथ है। एक समय की बात हैं जब सुप्रिया नाम का एक शिव भक्त नाव पर तीर्थ यात्रियों के साथ यात्रा कर रहा था। उसी वक्त एक दारुक नामक राक्षस ने उनको बंदी बनाकर अपनी राजधानी दारुकवना में केद कर लिया। सुप्रिया ने कारागार में भी भगवान शिव की भक्ति करना जारी रखा, इस बात से दारुक दानव ने क्रोध से उसे मारने की कोशिश की लेकिन भगवान शिव ने एक शिव लिंग के रूप में प्रकट होकर उनकी रक्षा की।
नागेश्वर मंदिर के इतिहास के बारे में कहा जाता है, कि इस मंदिर को द्वापर युग में पांडव बंधुओं द्वारा ही बनाया गया था। लेकिन इस मंदिर का जीर्णोद्धार और आज के समय के निर्माण कार्य की शुरुआत स्वर्गीय श्री गुलशन कुमार जी द्वारा शुरू करवाया गया था। लेकिन गुलशन कुमार के असामयिक निधन के बाद, इस मंदिर के निर्माण कार्यों की देखभाल उनके बेटे भूसन कुमार द्वारा की गयी थी। नागेश्वर मंदिर अपनी निर्माण कला के लिए बहुत प्रसिद्ध है। इस मंदिर को पांडवों द्वारा बनाया गया है। इस भव्य मंदिर को हेमाड़पंथी शैली के अनुसार किया गया है। यह मंदिर 60000 वर्ग फुट क्षेत्र में फैला हुआ है। इस मंदिर के चारों ओर बहुत मजबूत और ऊंची दीवारों का निर्माण किया गया है। मंदिर के आगे वाले भाग में बहुत बड़े गलियारे का निर्माण किया गया है। इस मंदिर के मंडप के चारों ओर आठ खंबों का निर्माण किया गया है। मंदिर परिसर के पास ही भगवान शिव का 80 फीट ऊंची मूर्ति स्थापित की गई है।
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर सुबह 6 बजे दर्शन के लिए खुलता है और 12:30 बजे तक भक्त यहां भगवान के दर्शन कर सकते हैं। सुबह के समय भक्त भोले नाथ के लिंग पर दूध अर्पण करते हैं। इसके बाद मंदिर शाम के 5 बजे खुलता है और 9:30 तक खुला रहता हैं। इसी समय के दौरान मंदिर में आरती की जाती हैं। द्वारका से नागेश्वर की दूरी लगभग 16 किलोमीटर है।
नागेश्वर मंदिर में होने वाली कुछ प्रमुख पुजाएं –
रुद्राभिषेक
ये अभिषेक कई मंत्रों और श्लोकों के पाठ के बीच पंचामृत (दूध, घी, शहद, दही और चीनी) के साथ किया जाता है। कहा जाता है कि ये पूजा तब की जाती है जब शिव अपने रुद्र अवतार (क्रोधित रूप) में होते हैं। इस पूजा में शिव लिंग को पानी से धोया जाता है, और लगातार एक बर्तन के माध्यम से शिवलिंग पर दूध की धारा डाली जाती है। जिसे दुधाभिषेक कहते है।
लघुरुद्र पूजा – ये अभिषेक स्वास्थ्य और धन से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिए किया जाता है। इस पुजा को करने से कुंडली में ग्रहों के बुरे प्रभाव दूर हो जाते है।