मुसाबनी- प्रगतिशील किसान मधुराम हांसदा के सफलता की कहानी,जरबेरा फूल की खेती ने मधुराम हांसदा की आर्थिक स्थिति को किया दुदृढ़, दूसरे किसानों के लिए बने प्रेरणास्रोत
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जमशेदपुर:- मुसाबनी प्रखंड अंतर्गत गोहला पंचायत के मधुराम हांसदा ने जरबेरा फूल की खेती कर अपने क्षेत्र में अलग पहचान बनाई है। प्रगतिशील किसान मधुराम बताते हैं कि उद्यान विभाग के सहयोग से अनुदानित दर पर उन्हें शेड नेट प्राप्त हुआ जिसमें वे साल भर जरबेरा फूल की खेती करते हैं। पारंपरिक खेती के अलावा फूल की खेती से उनके परिवार की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई है, उनके इस काम में परिवार वाले भी सहयोग करते हैं। उन्होने बताया कि कोरोना काल में उनके कारोबार को नुकसान जरूर पहुंचा था लेकिन वर्तमान में फिर से वो अपनी आय बढ़ाने के लिए प्रयासरत हैं। वहीं प्रखंड विकास पदाधिकारी, मुसाबनी की पहल पर उनके खेत में मनरेगा योजना के तहत कूप का निर्माण कराया जा रहा है जिससे उन्हें खेती के लिए साल भर पानी आसानी से मिल सकेगा।
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बाजार में जरबेरा फूल की अच्छी मांग, जमशेदपुर तथा पडो़सी राज्यों तक होती है फूलों की सप्लाई
मधुराम हांसदा कहते हैं कि जरबेरा के एक फूल की बाजार में 5-6 रुपए तक कीमत मिल जाती है, ऐसे में एक शेड नेट से सालाना 2-3 लाख रूपए की आमदनी आसानी से हो जाती है। उन्होने बताया कि कोई भी समारोह हो या किसी के घर में मांगलिक कार्य होने पर फूल तो लगते ही हैं, ऐसे में फूलों की खेती आय का अच्छा साधन है । वे अपने उत्पाद को मांग के अनुसार जमशेदपुर के अलावा पड़ोस के राज्यों में भी फूलों की सप्लाई करते हैं। फूल की खेती की तकनीकी जानकारी हो या मार्केटिंग, सभी में जिला उद्यान पदाधिकारी एवं उद्यान विभाग के विशेषज्ञों का परामर्श तथा आवश्यक सहयोग हमेशा मिलता है।
मधुराम हांसदा क्षेत्र के किसानों के लिए प्रेरणास्रोत, उम्मीद है इनसे प्रभावित होकर अन्य किसान भी फूल की खेती को अपनायेंगे… श्रीमती सीमा कुमारी, प्रखंड विकास पदाधिकारी
प्रखंड विकास पदाधिकारी श्रीमती सीमा कुमारी कहती हैं कि मधुराम हांसदा जैसे किसान दूसरे किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बनकर उभरे हैं। शासन-प्रशसान का भी प्रयास रहता है कि स्वावलंबन की दिशा में आगे बढ़ रहे नागरिकों को उचित मदद दी जाए जिससे आगे बढ़ने में इनकी सहायता हो। मधुराम हांसदा ने पटवन की समस्या को लेकर प्रखंड कार्यालय में मुलाकात की थी तथा इनके खेती कार्य को लेकर पहले से भी जानकारी थी, ऐसे में इनकी समस्या का समाधान करते हुए मनरेगा योजना के तहत कूप निर्माण का लाभ दिया गया है जिससे वे साल भर फूलों की खेती कर सकें।
जरबेरा की खेती में पानी की मात्रा का विशेष ध्यान रखना चाहिए, नमी रहने से फूल तोडे जाने के बाद यह लंबा चलता है…. श्री मिथिलेश कालिंदी, जिला उद्यान पदाधिकारी
जरबेरा फूल की खेती छोटे किसानों के लिए वरदान से कम नहीं है। कम लागत में ज्यादा मुनाफा के लिए किसानों को जरबेरा फूल की खेती की तरफ ध्यान देना चाहिए। हालांकि इसके शेड नेट का भी समय-समय पर उचित देखभाल करते हुए मरम्मत कराते रहना जरूरी है। शेड नेट के अंदर ड्रिप के साथ फॉगर भी देना चाहिए ताकि किसान गर्मी में भी गुणवत्ता पूर्ण फूल का उत्पादन कर सके । जरबेरा फूलों की खेती के लिए शुरुआत में 8 से 10 लाख रुपए का इन्वे्स्टमेंट लगता है जिसमें टिशू कल्चर पौधा, पॉलीहाउस/शेड नेट और इरीगेशन सिस्टम की खरीद, प्लांटेशन और मजदूरी का खर्च भी शामिल है। हालांकि विभाग की ओर से अनुदानित दर पर शेड नेट(पॉली हाउस) किसानों को उपलब्ध कराया जाता है । जरबेरा को शेड नेट/पॉलीहाउस में लगाया जाता है इसलिए इसकी खेती किसी भी मौसम में शुरू की जा सकती है। ठंड का मौसम इसकी खेती के लिए उत्तम माना जाता है। एक बार लगाया गया पौधा करीब ढाई साल तक चलता है। इसकी खेती में समय-समय पर पानी की मात्रा का विशेष ध्यान रखना चाहिए। पौधे में ज्यादा नमी रहने से फूल तोडे जाने के बाद यह लंबा चलता है।
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