‘झारखंड में भी बन सकते हैं मुर्शिदाबाद जैसे हालात’, धर्मांतरण पर भरी सभा में भड़के चंपई सोरेन, आदिवासियों के अस्तित्व पर जताई चिंता…



लोक आलोक सेंट्रल डेस्क:झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने चाकुलिया में आयोजित आदिवासी महासम्मेलन को संबोधित करते हुए राज्य में तेजी से हो रहे धर्मांतरण को लेकर गहरी चिंता जताई। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर धर्म परिवर्तन नहीं रोका गया, तो झारखंड में भी मुर्शिदाबाद जैसे हालात बन सकते हैं।


चंपई सोरेन ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, “जागो आदिवासी जागो! मैं चाकुलिया की धरती से आदिवासियों को जगाने आया हूं। यदि धर्म परिवर्तन नहीं रुका तो आदिवासी समाज का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।”
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड में रांची, लोहरदगा, गुमला, साहिबगंज, पाकुड़ सहित कई जिलों में तेजी से धर्मांतरण हो रहा है और राज्य सरकार इस पर चुप्पी साधे बैठी है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार आदिवासियों की परंपरागत ‘मांझी परगना महाल’ व्यवस्था को खत्म कर रही है।
चंपई ने आदिवासी लड़कियों के दूसरे समुदाय में विवाह करने पर उनके आरक्षण को रोकने की मांग भी की और कहा कि इससे आदिवासी समाज की जनसंख्या घटेगी। उन्होंने संथाल परगना की स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि वहां कई आदिवासी महिलाएं मुखिया और जिला परिषद की प्रमुख हैं, लेकिन उनके पति मुस्लिम समुदाय से हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि जल्द ही संथाल परगना में लाखों आदिवासियों को इकट्ठा कर बड़ा आंदोलन किया जाएगा। उन्होंने कांग्रेस पार्टी पर भी हमला बोलते हुए कहा कि 1967 में सांसद कार्तिक उरांव ने डिलिस्टिंग की मांग की थी, लेकिन कांग्रेस ने आदिवासियों के हित में कोई कदम नहीं उठाया।
फर्जी सर्टिफिकेट मामले पर भी उन्होंने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि चाकुलिया प्रखंड में मुस्लिम समुदाय के कई लोगों के फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बने हैं, जिसकी जांच कर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
सम्मेलन में दिशोम तरफ परगना चंद्रमोहन मंडी ने भी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पेसा एक्ट को लागू नहीं किया जा रहा है और आदिवासियों के अधिकार छीने जा रहे हैं। उन्होंने सरकार पर आदिवासियों को छलने का आरोप लगाया।
इस सम्मेलन के बाद झारखंड की राजनीति में गर्माहट तेज हो गई है, और धर्मांतरण, आरक्षण और आदिवासी पहचान के मुद्दे पर नई बहस छिड़ गई है।
