मंईयां सम्मान योजना बनी हेमंत सरकार के लिए सिरदर्द, जमशेदपुर में महिलाओं का फूटा आक्रोश, सड़क जाम कर जताया विरोध…



लोक आलोक सेंट्रल डेस्क:झारखंड सरकार की महत्वाकांक्षी मंईयां सम्मान योजना अब सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है। योजना के अंतर्गत मिलने वाली राशि में देरी से नाराज़ महिलाओं ने अब सड़कों पर उतरकर विरोध जताना शुरू कर दिया है। जमशेदपुर के करनडीह ब्लॉक में बुधवार को सैकड़ों आदिवासी महिलाओं ने ब्लॉक कार्यालय के समक्ष विरोध प्रदर्शन किया और हाता-टाटा मुख्य मार्ग को अवरुद्ध कर दिया। इस कारण सड़क पर लंबा जाम लग गया और आम जनजीवन प्रभावित हुआ।


प्रदर्शनकारी महिलाओं का कहना है कि महीनों से वे ब्लॉक कार्यालय के चक्कर काट रही हैं, लेकिन अब तक उनके खातों में योजना की राशि नहीं आई। महिलाओं ने कहा कि सरकार ने 2500 रुपये प्रतिमाह देने का वादा किया था, लेकिन हकीकत में उन्हें कुछ भी नहीं मिला। तेज धूप में भी महिलाओं का गुस्सा कम नहीं हुआ। वे कागजात और मांगपत्र हाथों में लिए, सड़क पर बैठकर नारेबाज़ी करती रहीं।
सीता सोरेन नामक महिला ने कहा, “हमारे बच्चे भूखे हैं, घर चलाना मुश्किल हो गया है। यह पैसा हमारा अधिकार है, लेकिन हमें इसके लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है।” वहीं हीरामुनि मुर्मू ने बताया कि वे पिछले चार महीने से आवेदन की स्थिति जानने ब्लॉक आ रही हैं, लेकिन हर बार केवल आश्वासन मिलता है।
लगभग आधे घंटे तक सड़क जाम रहने के बाद, परसुडीह थाना पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को संभाला। महिलाओं को सड़क से हटाकर ब्लॉक कार्यालय के बाहर प्रदर्शन करने को कहा गया। इसके बाद महिलाओं ने कार्यालय घेर लिया और जब तक ठोस जवाब नहीं मिला, वहीं बैठी रहीं।
ब्लॉक के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि “राशि वितरण में तकनीकी दिक्कतें हैं, लेकिन जल्द ही समाधान किया जाएगा।” हालांकि महिलाओं का कहना है कि यह जवाब वे कई बार सुन चुकी हैं, लेकिन जमीन पर कुछ नहीं हो रहा।
मंईयां सम्मान योजना, जो महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और उन्हें आर्थिक सहयोग देने के उद्देश्य से शुरू की गई थी, अब सरकार के वादों और जमीनी हकीकत के बीच के फर्क को उजागर कर रही है। यदि सरकार ने जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो यह आंदोलन और उग्र रूप ले सकता है।
महिलाओं का यह आंदोलन ना सिर्फ उनके हक की मांग है, बल्कि यह सरकार के कार्यान्वयन तंत्र पर भी बड़ा सवाल खड़ा करता है। समय रहते समाधान निकाला गया तो शायद सरकार अपना विश्वास पुनः स्थापित कर सके।
