मधुमक्खियों के बिना जीवन अधूरा: विश्व मधुमक्खी दिवस 2025 पर जागरूकता की गुहार

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हर साल 20 मई को विश्व मधुमक्खी दिवस (World Bee Day) मनाया जाता है, ताकि इस धरती के सबसे मेहनती और पर्यावरण के लिए आवश्यक जीव — मधुमक्खियों — की महत्ता को रेखांकित किया जा सके। संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित यह दिवस 2017 से प्रतिवर्ष मनाया जा रहा है और इसका उद्देश्य है — परागणकर्ताओं के संरक्षण और कृषि में उनके योगदान के प्रति वैश्विक जागरूकता बढ़ाना।

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इस दिन का चयन स्लोवेनिया के मधुमक्खी पालन विशेषज्ञ एंटोन जान्सा के जन्मदिन के उपलक्ष्य में किया गया, जिन्होंने आधुनिक मधुमक्खी पालन की नींव रखी थी। मधुमक्खियां न केवल शहद बनाती हैं, बल्कि फसलों के परागण में भी अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, जिससे वैश्विक खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होती है।

 संकट में हैं मधुमक्खियां

हाल के वर्षों में जलवायु परिवर्तन, कीटनाशकों का अत्यधिक प्रयोग, और प्राकृतिक आवासों के नष्ट होने के कारण मधुमक्खियों की संख्या में चिंताजनक गिरावट आई है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यही स्थिति रही, तो खाद्य उत्पादन और जैव विविधता दोनों पर गंभीर असर पड़ सकता है।

 क्या कर सकते हैं हम?

जैविक खेती को अपनाएं

कीटनाशकों का सीमित उपयोग करें

मधुमक्खियों के अनुकूल पौधे लगाएं

स्थानीय शहद उत्पादकों से शहद खरीदें

याद रखें — ‘यदि मधुमक्खियां समाप्त हो गईं, तो इंसान केवल कुछ वर्षों तक ही जीवित रह सकेगा।’
– यह चेतावनी स्वयं वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने दी थी।

 

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