डीबीएमएस कॉलेज ऑफ एजुकेशन कदमा जमशेदपुर के सभागार में मर्सी हॉस्पिटल के  चिकित्सक डॉक्टर सुनील नंदवानी का व्याख्यान किया गया आयोजित

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जमशेदपुर:  डीबीएमएस कॉलेज ऑफ एजुकेशन कदमा जमशेदपुर के सभागार में जमशेदपुर के मर्सी हॉस्पिटल के  चिकित्सक डॉक्टर सुनील नंदवानी जिन्हें गीता और आत्म विकास तथा अध्यात्म के ऊपर गहरा ज्ञान है उनका व्याख्यान आयोजित किया गया।

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डॉक्टर सुनील नंदवानी ने कॉलेज के छात्र-छात्राओं, अध्यापक- अध्यापिका तथा सभी कर्मचारी को कल्चर ऑफ वर्क के ऊपर व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए कहा कि जब तक हम अपने कार्य करने की प्रवृत्ति को विश्लषण नहीं कर पाएंगे और उसके करने के तरीके को सम्मान नहीं दे पाएंगे साथ ही वहां जहां हम कार्य करते हैं वहां के वातावरण सुविधाओं को आकर्षक तथा अनुकूल बनाने वाले लोगों के प्रति अपना दृष्टिकोण नहीं बदलेंगे तब तक हम कुछ भी हासिल करके भी हासिल नहीं कर सकते हैं। हमें जो हासिल करना है वह है अपने द्वारा किए गए किसी भी प्रकार के कार्य के प्रति नजरिया।

आज बहुत ही उत्साहजनक सत्र घटित हुआ जिसमें छात्र-छात्राएं शिक्षक- शिक्षिकाएं एवं कर्मचारियों ने प्रश्नोत्तर के माध्यम से बहुत ही खुशनुमा माहौल में अपनी सहभागिता प्रस्तुत की। सत्र के आरंभ में डीबीएमएस कॉलेज के हिंदी के सहायक प्राध्यापक डॉ अरुण कुमार सज्जन ने डॉक्टर सुनील नंदवानी का परिचय प्रस्तुत किया। डॉ.सज्जन ने उन्हें एक चिकित्सक के अतिरिक्त विख्यात समाजसेवी और आध्यात्मिक चेतना का प्रखर वक्ता बताया। कॉलेज की प्राचार्य डॉक्टर जूही समर्पिता ने डॉक्टर सुनील नंदवानी के सत्र को बहुत ही आवश्यक तथा विशेषकर प्रशिक्षु छात्र -छात्राओं के लिए उपयोगी बताया और इसे अत्यंत लाभप्रद सत्र के रूप में चिन्हित किया।

डी बी एम एस कॉलेज ऑफ एजुकेशन में शिक्षक पर्व के अन्तर्गत आज “कार्य संस्कृति” पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया. डॉ सुनील नंदवानी ने इस विशेष सत्र में अपने उच्च विचारों से छात्रों और शिक्षकों को प्रेरित किया . हम नौकरी क्यों करते हैं, किसके लिए करते हैँ, कैसे करते हैं, हमारी पहचान क्या है, अंततः हम चाहते क्या हैं जैसे अनेक सवालों का उन्होंने बहुत रोचक तरीके से समझाया. बी एड और डी एल एड के छात्रों के मन मे अनेक सवाल थे जिन्हें उन्होंने इस सत्र में उत्तर दिया. कृष्ण अर्जुन संवाद का उदाहरण देते हुए बताया कि युद्ध केवल कुरुक्षेत्र में नहीं किया गया था. हर व्यक्ति कार्यक्षेत्र में युद्धरत है. राज्य पाना ही युद्घ का उद्देश्य नहीं था. हमारा राज्य हमारे हृदय, मन, मस्तिष्क हैं जिनको जीतना है.

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महात्मा गांधी का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि गांधी के कर्मों ने उन्हें महात्मा बनाया.
नेल्सन मंडेला यदि बीस वर्ष जेल में रह कर अंग्रेजों को माफ़ कर सकते हैं तो हम क्यों नहीं एक दूसरे को माफ़ कर पाते?
डॉ अरुण सज्जन ने डॉ सुनील नंद वाणी का परिचय एक श्रेष्ठ डॉक्टर जो बहुत ही अच्छा आध्यात्मिक गुरु भी है कह कर किया. धन्यवाद ज्ञापन श्रीमती ईवा शिप्रा मुंडू ने दिया .

डॉक्टर सुनील नंदवानी ने कॉलेज के छात्र-छात्राओं, अध्यापक- अध्यापिका तथा सभी कर्मचारी को कल्चर ऑफ वर्क के ऊपर व्याख्यान प्रस्तुत किया. सहायक प्राध्यापिका ईवा मुंडु ने डॉक्टर सुनील नंदवानी के प्रति कॉलेज की तरफ से धन्यवाद ज्ञापित किया और उन्हें बहुत-बहुत अपना और कॉलेज की तरफ से धन्यवाद कहा। सत्र में अभय कुमार, सरस्वती मुंडा, निधि कुमारी ,मिलन जोशी आदि अनेक छात्र- छात्राओं ने डॉक्टर सुनील नंदवानी के साथ अपने संभावित प्रश्नों को साझा किया जिसे डॉक्टर नंदवानी ने बहुत अच्छी तरह उनका समाधान भी किया। सत्र के समाप्ति पर डीबीबीएस कॉलेज की उप प्राचार्य डॉ मोनिका उप्पल ने एक प्रतीक चिन्ह देकर डॉक्टर सुनील को सम्मानित किया और उनके द्वारा दिए संबोधन के प्रति आभार व्यक्त किया।

इस अवसर पर प्राचार्या डॉ जुही समर्पित, डॉ मोनिका उप्पल, पामेला अर्चना, पूनम, सूरीना,कंचन, गायत्री, निशी, मौसमी, बीरेन्द्र पांडे, अभिजीत, एंटनी के अलावा सभी छात्र छात्राएँ मौजूद थे.

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