Jharkhand Famous Temple: झारखंड के इस 700 वर्ष प्राचीन मंदिर को बनते किसी ने नहीं देखा… जानिए, इसकी विशेषताएं…
लोक आलोक न्यूज डेस्क/ झारखंड :-झारखंड में मां काली का यह मंदिर हर किसी की जुबान पर रहता है। मौका मिलते ही लोग इस मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना करना नहीं भूलते हैं। खुद भारतीय क्रिकेटर महेंद्र सिंह धौनी भी समय-समय पर इस मंदिर में पूजा करने पहुंचते हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां हर मानोकामनाएं पूरी होती हैं। यही वजह है कि झारखंड के अलावा अन्य प्रदेशों से भी लोग यहां दर्शन-पूजन के लिए समय-समय पर आते रहते हैं। यह मंदिर झारखंड विशेषकर रांची की पहचान बन चुका।
मंदिर को लेकर कई रोचक कहानियां प्रचलित हैं। दावा किया जाता है कि यह मंदिर करीब 700 वर्ष प्राचीन है। इसका निर्माण 10वीं से 12वीं शताब्दी के बीच का बताया जाता है। कहा जाता है कि इस मंदिर को निर्माण होते किसी ने नहीं देखा है। मंदिर के पुजारी की मानें तो एक रात एक भक्त को सपना आया। सुबह उठकर उसने जंगलों में मंदिर की खोज शुरू कर दी। काफी महनत के बाद उसे घने जंगल के बीच एक मंदिर नजर आया। वह देखकर दंग रह गया। इसके बाद उसने ग्रामीणों को इस मंदिर की जानकारी दी। इस मंदिर को लेकर एक दूसरी कथा भी प्रचलित है।
कहा जाता है कि झारखंड के तमाड़ में तब एक राजा हुआ करते थे। नाम था- केरा। वह युद्ध में हर कर घर लौट रहे थे। देवी उनके स्वपन में आईं। उन्होंने राजा से कहा- मेरा मंदिर निर्माण कराओ। इसके बाद राजा ने अपने कर्मचारियों को मंदिर निर्माण कराने का आदेश दिया। जब उन्होंने मंदिर का निर्माण कराया तो उनका राज्य दोबारा मिल गया।
बहरहाल, जब आप रांची से टाटा के लिए एनएच 33 से होकर गुजरेंगे तो रास्ते में तमाड़ नामक एक जगह है। वहीं पर यह मंदिर स्थित है। रांची शहर से इसकी दूरी करीब 60 किलोमीटर है।
यहां पहुंचना बेहद आसान है। हर क्षण यहां पहुंचने के लिए आपको रांची से बसें मिल जाएंगी। सड़क से ही इस मंदिर का आप दर्शन कर सकते हैं। जैसे ही आप ओवरब्रिज पर चढ़ेंगे, इस मंदिर का गुंबद नजर आएगा। ओवरब्रिज के नीचे से एक रास्ता मंदिर तक जाता है। यहां मां काली की प्रतिमा ओडिशा की मूर्ति कला पर आधारित है।