राष्ट्रभाषा के रूप में बापू ने ही हिंदी-हिंदुस्तानी भाषा को पूरे देश में प्रस्तुत किया था

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जमशेदपुर :  हिंदी दिवस के अवसर पर ड्रीम हाइट्स बिष्टुपुर में गाँधी शांति प्रतिष्ठान, जमशेदपुर शाखा की ओर से बैठक का आयोजन किया गया. इस बैठक में आगामी गाँधी जयंती के कार्यक्रमों के आयोजन पर चर्चा हुई। जिसमे हाथो में गाँधी के विचारो को ले, शांति मार्च का आयोजन किया जायेगा। आज हिंदी दिवस के मौके पर डॉ सुखचन्द्र झा गाँधी को याद को याद करते हुए अपने संबोधन में बताया की हिंदी दिवस पर संकल्प का यह सिलसिला वर्षों से चला आरहा है, मगर हमारी हिंदी जहां की तहां खड़ी है, क्योंकि वह सियासत के चंगुल में फंसी हुई है। सियासत न हो तो हमारी हिंदी तो पहले से राष्ट्र भाषा है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने राष्ट्रभाषा के जो पांच लक्षण गिनाये थे उस पर एक मात्र हिंदी ही खड़ी उतरती है और उस कसौटी पर हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा है।

राष्ट्रभाषा के रूप में बापू ने हिंदी-हिंदुस्तानी भाषा को पूरे देश में प्रस्तुत किया था और उनके प्रयासों के फलस्वरूप अहिंदी भाषी प्रांतों भी, हिंदी शिक्षण के लिए पाठशालाएं खोली गयीं। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान हिंदी हिंदुस्तानी की स्वीकारिता संपूर्ण देश में बढ़ रही थी किंतु जैसे ही आजादी मिली हिंदी सियासत का शिकार हो गयी। हिंदी के नाम पर सियासत बंद हो, और सौ करोड़ लोग जिस जिस रुप  में हिंदी लिखते पढते और बोलते हैं उन सबको हिंदी के रूप में स्वीकार किया जाये तो उसे राष्ट्रभाषा के सिंहासन आरूढ़ ही समझिए। इस मौके पर अरविन्द अंजुम, कुमार दिलीप, मंथन, अंकुर शास्वत मौजूद रहे.

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