छापेमारी की बजाय माफिया को बचाने की कवायद?टाल से अवैध स्क्रैप को करना था जप्त लेकिन बने रहे मूकदर्शक…अगले अंक में खुलेंगे और भी कई राज…
सरायकेला-खरसावां: – परसों रविवार होने के बावजूद डीएसपी हेडक्वार्टर प्रदीप उरांव ने पक्की और गुप्त सूचना के आधार पर आदित्यपुर में मधुबन होटल के सामने चोरी के स्क्रैप लदे 10 चक्का ट्रक को ओवरलोड हालत में पकड़ा.वाहन के पकड़े जाने के बाद उच्च स्तरीय जांच और माल कहां से कैसे लाया गया इसकी जांच कर पूरे मामले की जांच का जिम्मा आदित्यपुर थाना प्रभारी नितिन सिंह को सौंपी.
थाना प्रभारी ने लगभग 20 टन से भी ज्यादा अवैध माल को जांच के नाम पर 24 घंटे तक आदित्यपुर टीओपी के सामने खड़ा कर दिया.इस बीच स्क्रैप माफिया अपने बचाव में नए-नए हथकंडे अपनाने लगा.
सूत्रों की मानें तो जब कल सोमवार की रात ही वाहन को फर्जी कागजात के आधार पर छोड़ दिया जाता लेकिन एन मौके पर पत्रकारों को जानकारी होते ही मामला वायरल होने लगा.एक पत्रकार ने जप्त वाहन का फोटो भी सोशल मीडिया पर शेयर कर एसपी सरायकेला-खरसंवा को भी सूचित कर दिया.
स्क्रैप माफिया का माल डीएसपी ने पकड़ा तो पता चला कि आदित्यपुर में महिंद्रा शोरूम के सामने मुख्य सड़क से 50 मीटर अंदर भारी मात्रा में एकत्रित किया स्क्रैप रखा गया है और इस सूचना के बावजूद छापेमारी नहीं की गई.बताते चलें कि 8 महिने पहले भी इस स्क्रैप माफिया के गोदाम में डीआईजी अजय लिंडा के निर्देश पर स्पेशल टीम ने छापेमारी करने के बाद गोदाम को बंद करवा दिया था.उस समय भारी मात्रा में माल तो नहीं पकड़ा गया था लेकिन इस बात कि पुष्टि हो चुकी थी कि गोदाम में चोरी का स्क्रैप लाकर जमशेदपुर में खपाया जा रहा है.
नियमतः देखा जाए तो जिस स्क्रैप माफिया के गोदाम में परसों रात को ही डीएसपी और थानेदार को छापेमारी करनी थी उसे जांच के नाम पर बचने का पूरा मौका दे दिया गया.
अगर पुलिस जिले के विभिन्न थानों में दर्ज पुराने मामलों और जप्त अवैध स्क्रैप का मिलान आदित्यपुर के खड़े ट्रक के जप्त माल से करें तो वही जंग लगे लोहे के चैनल और एंगल ही मिलेंगे जो कि यह बताने के लिए ही काफी है कि चोरी का विभिन्न थानों में जप्त हुआ माल और आदित्यपुर में डीएसपी द्वारा पकड़ कर रखे गये माल में कोई भी अंतर नहीं है सभी लोहे के जंग लगे चैनल और एंगल ही हैं.
कहीं ऐसा तो नहीं की कल लोक आलोक न्यूज में वायरल खबर के आधार पर रातों-रात स्क्रैप माफिया को अपने गोदाम से माल हटाने का पूरा मौका दे दिया गया.इसका प्रमुख कारण है विभिन्न थाना क्षेत्रों में चले रहे ऐसे अवैध धंधों पर पुलिस के छोटे-बड़े सभी अधिकारियों की मेहरबानी,अनदेखी या कुछ और……………..
अधिकांश एफआईआर में ड्राइवर और खलासी ही पकड़े गए
जिले के विभिन्न थानों में दर्ज ऐसे मामलों को देखा जाए तो बहुत कम प्राथमिकियों ऐसी होंगी जिसमें मुख्य सरगना को अवैध माल सहित पकड़ लिया गया हो.ज्यादातर मामले ऐसे ही हैं जिसमें सुनियोजित तरीके से माल ले जा रहे वाहनों की सूचना लीक होने पर ही छोटे-छोटे पिक अप वैन को पकड़ने के बाद गाड़ी में सवार चालक,सह चालक या माल ढुलाई करने वाले मजदूर को ही जेल भेज दिया गया है.धंधे का मुख्य सरगना को जैसे ही पता चल जाता है माल पकड़ा गया वह गायब हो जाता है फिर मामले में गिरफ्तारी न हो,धंधा भी चलता रहे,गोदाम में छापेमारी न हो और सेटिंग गड़बड़ाने पर मामला दर्ज कर लिया गया तो जमानत मिलने तक कोई परेशानी भी न हो उसके जुगाड़ में माफिया लग जाते हैं.जिले में एसपी समेत कई अधिकारी अभी नए है, इन्हे आए ज्यादा समय नहीं हुआ है और ऐसे मामले उनके लिए चुनौती बन गई है जहां सब कुछ जुनियर अफसर के सेटिंग से होता है. ऐसे में कथित सफेदपोश और माफिया अधिकारियों को बरगलाने की भी पूरी कोशिश कर रहे है।
अगले अंक में बताएंगे और भी नये राज…