सरकारी योजनाओं का लाभ लेकर खेती-किसानी से आर्थिक रूप से सशक्त हुए प्रगतिशील किसान इन्द्रजीत किस्कु

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जमशेदपुर:- प्रगतिशील किसान इन्द्रजीत किस्कु गोलमुरी सह जुगसलाई प्रखंड के दलदली पंचायत, ग्राम ईटामारा के रहने वाले हैं । पढ़ाई- लिखाई पूरी होने के बाद इन्होंने खेती कार्य को ही अपने जीविकोपार्जन का साधन बनाया । श्री किस्कु लगभग 3 एकड़ जमीन में खीरा, टमाटर, नेनुवा, मिर्च, फ्रेंचबीन, आदि की उन्नत तकनीक से खेती कर रहे हैं जिसमें इन्होने अपने गांव के ही 3-4 लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया है । श्री किस्कु बताते हैं कि उनके सब्जी उत्पाद को बेहतर मार्केट मिले इसको लेकर वे जिला मुख्यालय तथा आसपास के प्रखंड के बाजारों पर भी नजर रखते हैं जिससे उन्हें अच्छी आमदनी होती है । वे कहते हैं कि उन्नत तरीके से खेती कार्य करने एवं पेशेवर तरीके से अपने उत्पादों के लिए बाजार ढूंढ सकें तो इससे बढ़िया आमदनी का कोई दूसरा स्रोत नहीं हो सकता । वे अपना उत्पाद घाटशिला, गालूडीह, साकची तथा जिला मुख्यालय में लगने वाले अन्य बाजारों में बेचकर आय प्राप्त करते हैं ।

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★साथी किसानों को प्रशिक्षण कार्यक्रम, परिभ्रमण, किसान गोष्ठी में शोमिल होने के लिए करते हैं प्रेरित

सब्जी की उन्नत तरीके से खेती के अलावा प्रगतिशील किसान इन्द्रजीत किस्कु ने लगभग 2 एकड़ जमीन में धान एवं 1 एकड़ जमीन में सरसों की खेती कर इस वर्ष अच्छा मुनाफा कमाये हैं । आत्मा द्वारा संचालित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना के तहत सरसों का बीज इन्हें निःशुल्क उपलब्ध कराया गया था । इन्द्रजीत किस्कु कृषि विभाग से विगत 4 वर्षों से जुड़े हैं । जिला कृषि विभाग-आत्मा द्वारा प्रगतिशील कृषक के रूप में चिन्हित इन्द्रजीत किस्कु अपने गांव व पंचायत के अन्य किसानों को भी कृषि विभाग द्वारा चलाए जाने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रम, परिभ्रमण, किसान गोष्ठी, फसल प्रत्यक्षण एवं किसान मेला आदि में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करते रहते हैं ।

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★खेती-किसानी ने बनाया आत्मनिर्भर, परिवार के भरण-पोषण में नहीं आती कठिनाई… इन्द्रजीत किस्कु, प्रगतिशील किसान

इन्द्रजीत किस्कु के परिवार में कुल 8 सदस्य है जिनका भरण-पोषण एवं बच्चों की पढ़ाई-लिखाई की जिम्मेदारी इन्हीं के कंधों पर है । वे बताते हैं कि घर में खपत के लिए धान, सरसों आदि की खेती के अलावा उन्नत तरीके से सब्जी की खेती से इन्हें सालाना 02 लाख रूपये से अधिक की आमदनी हो जाती है जिससे इनके परिवार का भरण-पोषण अच्छे तरीका से हो रहा है एवं पारिवारिक स्थिति पहले की अपेक्षा काफी बेहतर हुई है । किसानों के लिए अपने संदेश में इन्द्रजीत कहते हैं कि दूसरे प्रदेश में रोजगार ढूंढने जाने से बेहतर है कि अपने गांव-घर में ही मौजूद खेती-किसानी के विकल्प को तरासा जाए तो दूसरों पर निर्भरता खत्म होती ही है साथ ही आत्मसम्मान का जीवन जिया जा सकता है । इन्द्रजीत कहते हैं कि खेती-किसानी में असीम संभावनायें हैं, सिर्फ आवश्यकता है कि आप रूचि दिखायें और जिला कृषि विभाग के पदाधिकारी तथा तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा समय-समय पर उपलब्ध कराई जाने वाली जानकारी को ध्यान से सुनें, समझें एवं उसका इस्तेमाल खेती-किसानी कार्य में करें तो ये आर्थिक रूप से सशक्त होने में मददगार साबित होगा ।

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