महाराष्ट्र से इंदौर पोहा की पहचान ही है खास, जानें इसकी खासियत और इतिहास…

0
Advertisements

लोक आलोक न्यूज सेंट्रल डेस्क :- पोहा लगभग हर भारतीय घरों में बनने वाला एक लोकप्रिय स्वादिष्ट और पौष्टिक नाश्ता है। यह खाने में जितना स्वादिष्ट होता है उतना ही आसान इसे बनाना होता है। दुनियाभर में बेहद मशहूर है। यही वजह है कि हर साल 7 जून को World Poha Day मनाया जाता है। इस खास मौके पर आज आर्टिकल में हम आपको बताएंगे इंदौरी पोहे का दिलचस्प इतिहास।

Advertisements
Advertisements

जब भी हेल्दी, टेस्टी और लाइट नाश्ते की बात की जाती है, तो पोहे का जिक्र जरूर किया जाता है। पोहा जल्दी तैयार होने वाला एक हेल्दी ब्रेकफास्ट ऑप्शन है, जिसे देश के ज्यादातर हिस्सों में पसंद किया जाता है। पोहे की इसी लोकप्रियता को देखते हुए हर साल 7 जून को World Poha Day मनाया जाता है।

अलग-अलग जगहों पर इसे कई तरीकों से तैयार किया जाता है, लेकिन जब बात पोहे के होती है, तो सबसे पहले दिमाग में इंदौरी पोहे का नाम आता है। इंदौर देश एक ऐसा शहर है, जो सिर्फ अपनी साफ-सफाई ही नहीं, बल्कि पोहे के लिए भी जाना जाता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि स्वाद और सेहत भरपूर पोहा कब और कैसे इंदौर की पहचान बन गया है। अगर नहीं, तो आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे पोहे के इंदौर की शान बनने की कहानी-

इसलिए खास है इंदौरी पोहा

अपने अनोखे स्वाद के लिए मशहूर इंदौरी कई तरह के मसालों के साथ बनाया जाता है। इसके बेहतरीन स्वाद की ही वजह से देश के की हिस्सों में इंदौरी पोहा के नाम के स्टॉल नजर आ जाते हैं। हालांकि, इसका असल स्वाद तो सिर्फ देश के दिल मध्य प्रदेश में भी चखने को मिलता है। लोकप्रिय इंदौरी पोहा धनिया, सौंफ, आमचूर और जीरावन जैसे मसालों से बनाया जाता है। ये सभी सामग्रियां एक साथ मिक्स होकर इसे एक विशिष्ट स्वाद देती हैं।

See also  हार्ड वॉटर से चेहरा और बाल धोने के भयंकर नुकसान, एक्सपर्ट ने बताए इस पानी के नुकसान...

इंदौरी पोहे का इतिहास

इंदौरी पोहा को इसका नाम इंदौर शहर में ओरिजिन होने के कारण मिला। इंदौरी पोहा लंबे समय से ही पर्यटकों को आकर्षित करता रहा है और आज भी यह पूरे इंदौर का अहम हिस्सा है। अब बात करें इसके इतिहास की, तो पोहा की उत्पत्ति सबसे पहले महाराष्ट्र में हुई थी। होल्कर और सिंधिया के शासन में इस व्यंजन ने लोकप्रियता हासिल की। बात 19वीं सदी की है, जब ये शासक महाराष्ट्र से मध्य प्रदेश आए और उन्होंने इंदौर पर अधिकार कर लिया। हालांकि, अपने शासन के दौरान उन्होंने शहर का परिचय पोहा और श्रीखंड से कराया।

गरीबों का नाश्ता पोहा

होल्कर अपनी कला, साहित्य और भोजन के संरक्षण के लिए जाने जाते थे और उन्होंने ही इस क्षेत्र के व्यंजनों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन दिनों पोहा एक सस्ता और बेहद पौष्टिक भोजन माना जाता था, जो आसानी से उपलब्ध होता था और जल्दी तैयार भी हो जाता है। यह खास तौर पर उन मजदूरों को किसानों का मुख्य भोजन हुआ करता था, जिन्हें पेट करने के लिए सस्ते और जल्दी तैयार होने वाले नाश्ते की जरूरत होती थी।

समय के साथ हुआ बदलाव

धीरे-धीरे समय के साथ यह व्यंजन समय के साथ विकसित हुआ। एक तरफ जहां महाराष्ट्र में, लोग इसमें प्याज या आलू और कुछ क्षेत्रों में दही भी डालना पसंद करते हैं। वहीं, मध्य प्रदेश में, खासकर निमाड़-मालवा क्षेत्र में, पोहा को या तो इंदौरी सेव के साथ मिलाकर परोसा जाता है या इसके साथ जलेबी या कचौरी दी जाती है, जिसके वजह एक तीखा मिश्रण बनता है। इंदौर के पास मौजूद रतलाम, जो दुनियाभर में अपने नमकीन के लिए प्रसिद्ध है, इंदौरी पोहे का स्वाद दोगुना कर देता है।

See also  दूध की मलाई का ऐसे करे इस्तेमाल , चेहरे से दूर होंगे पिंपल...

ऐसे तैयार होता है पोहा

पोहे को आमतौर पर चपटे चावल से बनाया जाता है और इसमें सरसों, जीरा, कढ़ा पत्ता, हरी मिर्च और प्याज का तड़का लगाया जाता है। अंत में इसे गार्निश करने के लिए इसमें अनार के बीज, कुरकुरे सेव, भुनी हुई मूंगफली और ताजा धनिया पत्तियों का इस्तेमाल किया जाता है। इन सभी सामग्रियों को मिलाकर तैयार यह एक ऐसा व्यंजन बनता है, जो मीठा, मसालेदार, तीखा और स्वादिष्ट होता है।

 

Thanks for your Feedback!

You may have missed