व्याख्यान माला के दसवें अध्याय में “झारखंड में हुल दिवस का महत्व” विषयक व्याख्यान आयोजित, दामिन-ए-कोह अर्थात पहाड़ का अंचल – डॉ० खीरोधर प्रसाद यादव

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जमशेदपुर :- वर्कर्स कॉलेज, जमशेदपुर द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव बड़े धूम-धाम से मनाया जा रहा है । इस निमित्त महाविद्यालय द्वारा विभिन्न विषय-विशेषज्ञों के साथ भिन्न-भिन्न विषयों को लेकर निरंतर कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं । आज व्याख्यान माला श्रृंखला के दसवें अध्याय में “झारखंड में हुल दिवस का महत्व” विषयक व्याख्यान आयोजित किए गए । व्याख्यान को मुख्य वक्ता रूप में सिद्धू-कान्हू मुर्मु विश्वविद्यालय, दुमका के एस.पी. कॉलेज, दुमका, के प्राचार्य डॉ. खीरोधर प्रसाद यादव ने संबोधित किया । उन्होंने अपने संबोधन में हुल दिवस की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि बतलाते हुए इसके विभिन्न नायकों का जिक्र किया । उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति हेतु 1857 का सिपाही विद्रोह तो पुरा देश जानता है परंतु इस क्रांति से दो वर्ष पूर्व ,1855 में झारखंड की भूमि पर अंग्रेजों के विरुद्ध आदिवासियों द्वारा हुल विद्रोह अर्थात क्रांति शुरु हो गया था, जिसका नेतृत्व संथाल परगना के सिद्धू-कान्हू मुर्मु एवं उनके भाइयों ने किया । इस क्रांति की प्रासंगिकता यह है कि इस क्रांति ने अंग्रेजी सल्तनत की नींव हिला दी थी । जिस दिन इस क्रांति की शुरुआत हुई उस दिन 30 जून था, अर्थात 30 जून को हुल दिवस के रुप में मनाया जाने लगा । अंततः हुल विद्रोह ने अंग्रेजों को नतमस्तक होने पर मजबूर किया । हंसते-हंसते इस विद्रोह के नायकों ने अपने बलिदान देकर मातृभूमि की रक्षा की । महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ० सत्यप्रिय महालिक ने व्याख्यान माला श्रृंखला के दसवें अध्याय का उद्घाटन करते हुए अपने स्वागत वक्त में मुख्य वक्ता का स्वागत किया एवं कार्यक्रम के सफल आयोजन की शुभकामनाएं प्रेषित की । साथ ही व्याख्यान माला श्रृंखला के ग्यारहवें संस्करण की रुपरेखा प्रस्तुत की । कार्यक्रम का सफलतापूर्वक संचालन प्राध्यापक प्रो० भवेश कुमार ने एवं धन्यवाद ज्ञापन अंग्रेजी विभाग की अध्यक्षा डॉ० प्रीतिबाला सिन्हा ने की । इस अवसर पर महाविद्यालय के शिक्षक, प्रधान लिपिक, शिक्षकेत्तर कर्मी, छात्र प्रतिनिधि सहित सैकड़ों छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे ।

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