झारखण्ड के सरायकेला जिला में राजनगर प्रखंड के बाना पंचायत में ग्रामीण घुटन की जीवन जी रहे है, न ही मुखिया न विधायक और न ही संसद ले रहे ग्रामीणों की सुध।
सरायकेला खरसावां:- बना पंचायत में ग्रामीणों के पास ना तो खेती करने के लिए पानी की व्यवस्था है, और न ही किसी तरह की रोजगार की या लोग मरूस्थल की तर्ज पर पशुपालन कर अपना जीवन यापन करते है, बरसात के पानी से साल में एक बार धान की खेती हो जाती है जिससे गुजारा होता है।
राज्य सरकार की ओर से लागू योजनाओं को भी ग्रामीण तक पहुंचने का ठेका लेने वाले लगातार ग्रामीणों को ठगने का काम किया है, भोले भले ग्रामीणों को जनप्रतिनिधियों आज तक ठगने का काम किया गया है,
लोग अपने घर में दहशत में है कभी भी घर गिर जाए ऐसी स्तिथि में बारिश होने पर घर के भीतर नहीं घर से भाग जाया करते है, लेकिन इन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ क्यों नहीं मिला ये जानना जरूरी है।बुजुर्गो के लिए वृद्धा पेंशन व विधवा पेंशन की व्यवस्था नहीं पहुंच पाई है, कुछ चिन्हित लोगो तक ही योजना पहुंचती है, ऐसा आरोप ग्रामीणों का है,
विक्लांक भी सरकारी योजना से वांछित खाट पर लेटे है ।ग्रामीण न तो ग्राम के मुखिया को जानते है और नही जनप्रतिनिधि को,चुनाव के समय नेताओ का आना जाना रहता है जिसके बाद पांच साल के लिए सन्नाटा रहता है। आज के युग में 100 साल पहले का भारत आप देख सकते है झारखण्ड के सरायकेला जिला में ।जिसकी कागजी हकीकत और जमीनी हकीकत में आसमान जमीन का है फासला।