सावन के आखिरी दिन कैसा रहेगा मौसम झारखंड में आज होगी बारिश।
झारखंड:- झारखंड के गुमला, लातेहार समेत कई जिलों में आज बारिश हो सकती है.मेघ गर्जन के साथ वज्रपात का अलर्ट जारी किया गया है. कल रविवार को सावन का आखिरी दिन है. इस दिन भी बारिश के आसार हैं. मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार आज व कल आकाश में बादल छाये रहेंगे और बारिश होगी. पवित्र सावन माह के आखिरी दिन यानी 22 अगस्त (रविवार) को झारखंड में बारिश की संभावना है. वज्रपात के साथ बारिश के आसार हैं. मौसम विभाग के अनुसार उत्तरी, दक्षिण पूर्वी एवं मध्य भागों में मेघ गर्जन के साथ हल्के से मध्यम दर्जे की बारिश हो सकती है.
झारखंड के गुमला जिले और लातेहार जिले के कुछ भागों में आज मेघ गर्जन होगा. इस दौरान बारिश की भी संभावना व्यक्त की गयी है. मौसम विभाग ने इस दौरान वज्रपात का अलर्ट जारी किया है. आज आकाश में बादल छाये रहेंगे और हल्के से मध्यम दर्जे की बारिश हो सकती है.मौसम विभाग ने अपने पूर्वानुमान में बताया है कि आज 21 व कल 22 अगस्त को आकाश में बादल छाये रहेंगे. इस दौरान एक-दो बार हल्के से मध्यम दर्जे की बारिश हो सकती है. इस दौरान राज्य में कहीं-कहीं मेघ गर्जन के साथ वज्रपात की आशंका जतायी गयी है.मौसम विभाग के अनुसार पिछले 24 घंटे के दौरान झारखंड में मानूसन की स्थिति कमजोर रही. कई स्थानों पर हल्की बारिश हुई. इस दौरान सर्वाधिक बारिश पूर्वी सिंहभूम जिले के घाटशिला में हुई. राज्य में सर्वाधिक तापमान देवघर में 36 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि न्यूनतम तापमान 22.4 डिग्री सेल्सियस मेदिनीनगर में दर्ज किया गया.
स्कूल में ग्राउंड फ्लोर सहित दो तल्ला भवन है. जिसमें दर्जनों परिवार रह रहे हैं. राहत कैंप में इन्हें चूड़ा, गुड़ वगैरह तो मिल रहा है, लेकिन दूध और दवा नहीं मिल पा रही है. इससे इनकी परेशानी बढ़ी हुई है. राहत शिविर में रह रहे महिला-पुरुषों ने बताया कि कुछ लोगों को चूड़ा-गुड़, माचिश, मोमबत्ती मिला. कुछ लोगों को अब तक ये भी नहीं मिला है. किसी तरह जीवन यापन व्यतीत कर रहे हैं. मेडिकल कैम्प भी नहीं लगा है, न ही कोई डॉक्टर उन्हें देखने आया है. वे बताते हैं कि छोटे-छोटे बच्चों को दूध भी नहीं मिल पा रहा है. चेहरा देखकर राहत सामग्री दी जाती है. बिजली भी बाढ़ क्षेत्र में कटी हुई है. जिससे घर में आने-जाने में परेशानी होती है. राहत कैंप में कई लोगों की तबीयत खराब है. बुजुर्ग को दवाई की जरूरत है. काफी मुश्किलों से जिंदगी कट रही है.
स्कूल में ग्राउंड फ्लोर सहित दो तल्ला भवन है. जिसमें दर्जनों परिवार रह रहे हैं. राहत कैंप में इन्हें चूड़ा, गुड़ वगैरह तो मिल रहा है, लेकिन दूध और दवा नहीं मिल पा रही है. इससे इनकी परेशानी बढ़ी हुई है.राहत शिविर में रह रहे महिला-पुरुषों ने बताया कि कुछ लोगों को चूड़ा-गुड़, माचिश, मोमबत्ती मिला. कुछ लोगों को अब तक ये भी नहीं मिला है. किसी तरह जीवन यापन व्यतीत कर रहे हैं. मेडिकल कैम्प भी नहीं लगा है, न ही कोई डॉक्टर उन्हें देखने आया है. वे बताते हैं कि छोटे-छोटे बच्चों को दूध भी नहीं मिल पा रहा है. चेहरा देखकर राहत सामग्री दी जाती है. बिजली भी बाढ़ क्षेत्र में कटी हुई है. जिससे घर में आने-जाने में परेशानी होती है. राहत कैंप में कई लोगों की तबीयत खराब है. बुजुर्ग को दवाई की जरूरत है. काफी मुश्किलों से जिंदगी कट रही है.स्कूल में ग्राउंड फ्लोर सहित दो तल्ला भवन है. जिसमें दर्जनों परिवार रह रहे हैं. राहत कैंप में इन्हें चूड़ा, गुड़ वगैरह तो मिल रहा है, लेकिन दूध और दवा नहीं मिल पा रही है. इससे इनकी परेशानी बढ़ी हुई है.
राहत शिविर में रह रहे महिला-पुरुषों ने बताया कि कुछ लोगों को चूड़ा-गुड़, माचिश, मोमबत्ती मिला. कुछ लोगों को अब तक ये भी नहीं मिला है. किसी तरह जीवन यापन व्यतीत कर रहे हैं. मेडिकल कैम्प भी नहीं लगा है, न ही कोई डॉक्टर उन्हें देखने आया है. वे बताते हैं कि छोटे-छोटे बच्चों को दूध भी नहीं मिल पा रहा है. चेहरा देखकर राहत सामग्री दी जाती है. बिजली भी बाढ़ क्षेत्र में कटी हुई है. जिससे घर में आने-जाने में परेशानी होती है. राहत कैंप में कई लोगों की तबीयत खराब है. बुजुर्ग को दवाई की जरूरत है. काफी मुश्किलों से जिंदगी कट रही है.बाढ़ पीड़ित बताते हैं कि पिछले 6 दिनों से राहत कैम्प में आकर शरण लिए हैं. अब तक मेडिकल टीम एक बार भी किसी की जांच करने नहीं आई है. बुजुर्गों को दवाई का जरूरत है. काफी परेशानी हो रही है. अब तक कुछ नहीं मिला है. किसी को राहत सामग्री मिली, किसी को नहीं. तीसरे तल्ले तक बाढ़ पीड़ित लोग हैं. नीचे देकर सब भाग जाते हैं. राहत शिविर में सिर्फ चूड़ा, गुड़, माचिश, मोमबत्ती मिला है. बच्चों को काफी परेशानी हो रही है. अब रिश्तेदार के घर से रोटी लाकर खा रहे हैं. कभी कभी खिचड़ी कोई आकर दे जाता है. वर्ना हमलोग बनाते हैं खाना. चावल दाल अभी तक नहीं मिला है.
प्रशासन द्वारा आश्वासन दिया गया था.घर में 5 फीट से ऊपर पानी है. बिजली कटी हुई है. मजबूरन यहां शरण लिए हैं. शाम में घर जाकर भी एक आदमी रहता है. मुंह देखकर चूड़ा, गुड़ दिया जाता है. हमलोग को अभी तक कुछ भी नहीं मिला है. जिला प्रशासन की मदद से लोग नाखुश हैं. वे कहते हैं कि चावल-दाल तक नसीब नहीं हो रहा है. राहत कैम्प में सभी का रेगुलर स्वास्थ्य जांच हो. पानी में रहने और धूप से सर्दी खांसी बुखार हो जाता है.
खाने पीने की व्यवस्था नहीं है. पानी घटने का इंतजार कर रहे हैं. डॉक्टर एक बार भी नहीं आया है.पीड़ित बताते हैं कि दस दिनों से राहत शिविर में रह रहे हैं. मात्र एक दिन चारा मिला है. जानवर सुख गया है खाना के बिना. हरा चारा डूब गया है. इधर उधर से किसी तरह जानवरों को खाना खिला रहे हैं. जानवरों का डॉक्टर भी नहीं आया है. यहां लाने में गाय भैस का पैर कट गया है. पानी में रहने से बीमार हो गई है. खाना पीना के बिना एक गाय भी मर गयी. बहुत परेशान हैं हमलोग.इधर, सिटी मैनेजर पुरुषोत्तम देव कहते हैं कि नगर परिषद कर्मी व वार्ड पार्षद के सहयोग से राहत सामग्री का वितरण किया जा रहा है. बचे लोगों को भी अनाज उपलब्ध कराया जाएगा