रांची तुपुदाना इंडस्ट्रियल एरिया में सरकारी नियमों को ताख पर रखकर बनाया अस्पताल।

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रांची. राज्य में एक बार फिर निवेशकों को पुकारने वाला सरकारी बुलावा गूंजने लगा है. लेकिन इस सरकारी गूंज को राज्य के मौजूदा कारोबारी ज्यादा तवज्जो नहीं दे रहे.खासकर राजधानी के तुपुदाना इंडस्ट्रियल एरिया की बदहाली से नाराज कारोबारी तो यहां तक कहते हैं कि जहां बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर ही फेल है, वहां निवेशकों को बुलाने की परीक्षा में सरकार कितनी पास होगी. इस पर संदेह है. वहीं इंडस्ट्रियल एरिया की नारकीय हालत और अस्पताल के निर्माण से भी कारोबारियों में खासी नाराजगी है.

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कहते हैं राजधानी विकास का आइना होती है और इस आइने में पूरे प्रदेश की तस्वीर नजर आती है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में निवेशकों को लुभाने पहुंची हेमंत सरकार यह भूल गयी कि उनकी अपनी राजधानी में कारोबारियों का हाल क्या है. राजधानी के तुपुदाना इंडस्ट्रियल एरिया में आधी से ज्यादा बंद हो चुकी फैक्ट्रियों का हाल किसी से छुपा नहीं है. पूरे इंडस्ट्रीयल इलाके में सड़क और नाली की हालत बदहाल है. पिछले तीन साल से चल रहे नाली के निर्माण की वजह से लोगों का यहां से गुजरना मुश्किल है. वहीं सरकारी नीतियों और उदासीनता की वजह से कुछ फैक्ट्रियां अब गौशाले में तब्दील हो चुकी हैं. और अब यहां मशीनों के शोर के बजाय गायों के रंभाने की गूंज सुनाई देती है.

तुपुदाना इंडस्ट्रियल एरिया एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष विनोद तुल्सयान बताते हैं कि हालत बहुत बुरी है. गंदगी और लंबे समय से नाली निर्माण की वजह से कारोबारियों का अपनी फैक्ट्रियों तक पहुंचना मुश्किल है. उन्होंने तो यहां तक कहा कि राज्य सरकार का बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर ही फेल है. हाल ये है कि कुछ फैक्ट्रियां गोशाले में तब्दील हो गयी हैं.

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वहीं इंडस्ट्रियल एरिया के युवा कारोबारी विवेक टिबड़ेवाल बताते हैं कि कई फैक्ट्रियां बंद हो चुकी हैं. उनकी जगह पर अब वहां सर्विस सेक्टर और दूसरे काम शुरू हो गये हैं. क्योंकि मार्केट स्लो डाउन होने के वजह से बाजार में तैयार माल का खरीददार ही नजर नहीं आ रहा. वहीं दूसरी ओर तुपुदाना इंडस्ट्रियल एरिया की बदनीयती यहीं खत्म नहीं होती. इंडस्ट्रियल इलाके में ही एक बड़े अस्पताल का निर्माण कराया जा रहा. जिसका यहां के मौजूदा कारोबारी विरोध कर रहे हैं.

तुपुदाना इंडस्ट्रियल एरिया एसोसिएशन के उपाध्यक्ष अरुण छावछरिया की माने तो फैक्ट्रियों के शोर गुल में अस्पताल का निर्माण कितना जायज है. पॉल्य़ूशन कंट्रोल नियम के तहत अस्पताल के 100 मीटर का क्षेत्र साइलेंस जोन होता है. और ऐसे में अगर नियम का पालन किया गया तो बची खुची फैक्ट्रियों पर भी ताला लगते देर नहीं लगेगी. उन्होंने बताया कि 100 मीटर के क्षेत्र में बची खुची तमाम कंपनियां आ जाएंगी. वहीं उन्होंने सरकारी विभाग की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए कि आखिर इंडस्ट्रियल एरिया में निर्माणाधीन अस्पताल पर रोक क्यों नहीं लगायी जा रही.

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