हाईकोर्ट ने CBI को सौंपी रूपा तिर्की केस की जांच,अब हो सकता है मामले का खुलासा

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राँची:- झारखंड हाईकोर्ट ने साहेबगंज की दिवंगत महिला थाना प्रभारी रुपा तिर्की की मृत्यु की मामले की जांच सीबीआई से करवाने का आदेश दिया है. अदालत ने साहिबगंज महिला थाना प्रभारी रूपा तिर्की की संदेहास्पद मौत के मामले में उनके पिता द्वारा दायर याचिका पर अपना फैसला सुनाया है. मंगलवार को सभी पक्षों की ओर से बहस पूरी होने के बाद हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. रुपा तिर्की की मृत्यु के बाद से ही उसके परिजनों समेत कई सामाजिक संगठनों ने सीबीआई जांच की मांग करते हुए आंदोलन भी किया था और न्यायालय का भी दरवाजा खटखटाया गया था.

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महाधिवक्ता द्वारा अदालत में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता द्वारा मामले की सीबीआई जांच 200% होने का दावा करने संबंधी जानकारी अदालत को दी गयी. उस मामले में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता द्वारा महाधिवक्ता और अपर महाधिवक्ता पर अदालत की अवमानना करने का आरोप लगाते हुए उन पर अवमाननावाद याचिका चलाने के लिए आईए याचिका दायर की थी. उसी पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने महाधिवक्ता और अपर महाधिवक्ता की ओर से अदालत में पक्ष रखा था.

उन्होंने कहा था कि इस मामले में अवमाननावाद याचिका चलाने योग्य नहीं है. इस क्रम में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि मामले की सीबीआई जांच जिसके लिए इस याचिका में कहा गया है, वह 200% होगा ही, यह शॉकिंग था. प्रार्थी के अधिवक्ता द्वारा कही गयी बातें महाधिवक्ता ने अदालत को बतायी थी. उन्होंने तो सिर्फ जानकारी दी कि यह अवमानना नहीं होती है. उन्होंने अदालत पर किसी भी प्रकार का दोषारोपण नहीं किया है. कहा था कि अवमाननावाद एकल पीठ में नहीं सिर्फ युगल पीठ में ही सुनवाई योग्य है.

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उन्होंने अदालत से आग्रह किया था कि अवमानना के लिए दायर की गयी आइए को निरस्त कर दिया जाये. अधिवक्ता के पक्ष सुनने के बाद अदालत ने मामले में निर्णय लेने की बात कही थी. बता दें कि इसी के साथ रूपा तिर्की की संदेहास्पद मौत की सीबीआई जांच के लिए की गयी प्रार्थना पर सुनवाई पूरी कर ली गयी. बता दें कि साहेबगंज महिला थाना प्रभारी रूपा तिर्की ने आत्महत्या की थी. लेकिन उनके पिता ने उसे संदेहास्पद मौत की बात कहते हुए मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग को लेकर झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता के ऑडियो खुले रहने और मामले की सुनवाई लगभग समाप्त हो जाने के बाद याचिकाकर्ता के अधिवक्ता द्वारा उनके पास बैठे हुए लोगों को यह बताया जा रहा था कि मामले की सीबीआई को जांच 200% दी जायेगी.

सुनवाई के दूसरे दिन महाधिवक्ता ने अदालत को यह बताया था कि याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुनवाई के बाद यह बता रहे थे कि इस मामले की 200% जांच सीबीआई को दी जानी है, जिस पर अदालत ने महाधिवक्ता को यह लिखित रूप में पेश करने को कहा था. महाधिवक्ता ने कहा कि मौखिक रूप से जो हम कह रहे हैं, उसे ही मान लिया जाये, जिस पर अदालत ने कड़ी नाराजगी जताते हुए मामले की सुनवाई से संबंधित सभी वाद मुख्य न्यायाधीश को भेज दिये थे.

मुख्य न्यायाधीश ने फिर से उन्हें सुनवाई के लिए आदेश दिया. उसी मामले में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजीव कुमार ने महाधिवक्ता और अपर महाधिवक्ता पर अदालत की अवमानना करने को लेकर उन पर आपराधिक अवमाननाबाद चलाये जाने के लिए आवेदन दिया था. उसी बिंदु पर अदालत में सुनवाई हुई. प्रार्थी की ओर से पक्ष रखकर कहा गया कि हमने किसी भी प्रकार की कोई अवमानना नहीं की है. इसलिए यह आइए याचिका मेंटेनेबल नहीं है. प्रार्थी की दलील सुनने के बाद अदालत ने इस पर बुधवार को निर्णय लेने की बात कही. याचिका के मुख्य प्रार्थना बिंदु पर आगे सुनवाई हुई. अदालत ने सभी पक्षों की दलील सुनी. सुनवाई की सभी प्रक्रिया पूरी कर ली गयी है.

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