स्वास्थ्य मंत्री व सिविल सर्जन को कूटने की बात करने वाले डाक्टर ओपी आनंद ने मांगी माफ़ी , खुद फसने पर मीडिया पर ही उठाये सवाल , जबकि उन्होंने खुद कहा था – लगा दीजियेगा बयान , और आज कही पीत पत्रकारिता करने की बात ,

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जमशेदपुर : सरायकेला-खरसावां जिले के आदित्यपुर के नर्सिंग होम 111 सेव लाइफ के संचालक डॉ ओपी आनंद द्वारा स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के खिलाफ दिये गये आपत्तिजनक बयान का मुद्दा दो दिनों से तुल पकड़ा हुआ है. इस बीच में मामले में डॉ ओपी आनंद के खिलाफ कार्रवाई की गयी है और यह मामला दर्ज भी हो चुका है. ऐसे में अब तीसरे दिन खुद डॉ ओपी आनंद सामने आये है और उन्होंने एक बार फिर से मीडिया को बयान जारी किया है. अपने बयान में डॉ ओपी आनंद ने कहा है कि उनके खिलाफ जांच की गयी थी जबकि वे जनता की सेवा कर रहे है. बार-बार जांच अधिकारी उनको अपने दफ्तर बुला रहे थे और काफी दिनों से परेशान कर रहे थे, जिससे वे काफी गुस्से में आ गये थे और वह बयान दे दिया था. उन्होंने कहा कि उनको अपने बयान पर अफसोस भी है और दुख भी है. लेकिन इस मामले में मीडिया को भी पूरी बातें लोगों को नहीं दिखानी चाहिए थी और यह पीत पत्रकारिता का हिस्सा है. खुद डॉ ओपी आनंद ने बयान दिया था. उसके बाद कहा था कि जाकर स्टेटमेंट लगा दीजियेगा, फिर खुद ही मीडिया पर ही सवाल उठाने लगे. खैर उन्होंने अपने बयान पर अफसोस जताया और कहा कि यह मेरी गलती है और उसके लिए वे क्षमाप्रार्थी है. अब देखने वाली बात यह होगी कि अब उनके खिलाफ जो जांच और कार्रवाई हो रही थी, उसका क्या होगा.गौरतलब है, कि बीते शनिवार को राज्य के स्वास्थ्य मंत्री के मौखिक निर्देश पर जिले के प्रभारी सिविल सर्जन 3 सदस्यीय टीम के साथ 111 सेव लाइफ अस्पताल जांच करने पहुंचे थे. जहां जांच टीम को अस्पताल प्रबंधन द्वारा किसी तरह का कोई सहयोग नहीं किया गया. वैसे जांच टीम ने अस्पताल में कई खामियां पाई थी. वहीं जांच टीम को इलाजरत मरीजों के परिजनों से दूर रखा गया. इतना ही नहीं अस्पताल के प्रबंधक डॉ. ओपी आनंद ने स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता पर जांच टीम भेजे जाने के विरोध में तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था, मंत्री ने उनके अस्पताल में जांच टीम भेजकर सही नहीं किया. उन्होंने कहा अस्पताल में अगर गंभीर रोगों से ग्रसित मरीज नहीं होते, तो ऐसे जांच अधिकारियों और मंत्री को दौड़ा-दौड़ा कर पीटता. इतना ही नहीं उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री एवं जांच अधिकारी को कूटने की बात कही थी. उधर अस्पताल के प्रबंधक के इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों से तीखी प्रतिक्रियाएं आने लगी. लगभग सभी राजनीतिक दलों ने डॉक्टर ओपी आनंद के इस व्यवहार की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई किए जाने की मांग कर डाली. हालांकि खुद पर किए गए टिप्पणी पर स्वास्थ्य मंत्री ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, कि मेरे खिलाफ कुछ भी कहें कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन राज्य के डॉक्टर्स वैश्विक त्रासदी के इस दौर में अपने डॉक्टर धर्म का निर्वहन करें. उन्होंने बताया, कि पूरे मामले की जांच जिले के उपायुक्त कर रहे हैं. वहीं उन्होंने कहा जांच में पूरी पारदर्शिता बरती जाएगी. दुर्भावना से ग्रसित होकर कोई रिपोर्ट नहीं बनेगी. उधर प्रभारी सिविल सर्जन डॉक्टर वारियल मुर्मू के बयान के आधार पर जिले के एसपी ने 111 सेव लाइफ अस्पताल के प्रबंधक डॉ ओपी आनंद के खिलाफ सर्टिफिकेट केस दर्ज करने का निर्देश जारी कर दिया है. वहीं आरआईटी थाना पुलिस द्वारा रिपोर्ट दर्ज करते हुए मामले की छानबीन शुरू कर दी गई है. जब जाँच  टीम डॉ आनंद के अस्पताल पहुची तब उन्होंने कहा था कि पहले से इसकी कोई सुचना नही थी मतलब अचानक जाँच कमिटी अस्पताल पहुँच गयी वही आज डॉ आनंद खुद कह रहे है कि उन्हें बुला कर परेशान किया जा रहा था . सवाल यह है कि अगर जाँच कमिटी अचानक से अस्पताल  पहुँची तो फिर डॉ आनंद को पहले कहाँ और क्यों बुला कर परेशान किया गया , जिसके वजह से डॉ ओपी आनंद ने अपना आपा खो दिया . हालाँकि  इस बारे में खुल कर डॉ आनंद ने कोई जानकारी साझा नही की है . अब देखना यह है कि आगे की क्या कार्रवाई की जाती है .

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