गुरु रविन्द्रनाथ टैगोर की 164 वीं जयंती मनाई गई, टैगोर के जीवन और योगदान के बारे में विस्तार से हुई चर्चा

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जमशेदपुर : डी.बी.एम.एस. कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन द्वारा गुरु रविन्द्रनाथ टैगोर की 164 वीं जयंती मनाई गई| कॉलेज की प्राचार्या, उप-प्राचार्या, शिक्षकगण, कर्मचारी एवं छात्रों ने रविन्द्रनाथ टैगोर के चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी| कार्यक्रम का शुभारंभ सामूहिक रूप से दीप प्रज्वलित कर किया गया| कार्यक्रम का शुभारंभ नीशा और मनीषा कुमारी ने किया| दोनों छात्रों ने रविन्द्रनाथ टैगोर के जीवन और योगदान के बारे में विस्तार से जानकारी दी| छात्रों द्वारा स्वागत भाषण, कविता पाठ, गीत एवं पीपीटी द्वारा टैगोर के जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों को प्रस्तुत किया गया| कॉलेज की प्राचार्या डॉ.जूही समर्पिता ने कहा कि रविन्द्रनाथ टैगोर का मानना था कि प्रकृति मानव तथा अंतराष्ट्रीय सम्बन्धों में परस्पर मेल एवं प्रेम होना चाहिए| प्राचार्या महोदया ने कहा कि पढ़ाई किसी बंद कमरे में नहीं बल्कि प्रकृति में करवाई जाय तो बच्चे काफी कुछ सीखने में सक्षम होगें ऐसा गुरु रविन्द्रनाथ टैगोर का मानना था|

गुरु रविन्द्रनाथ टैगोर भारत एवं बांग्लादेश के लिए राष्ट्रगान लिखा था| प्राचार्या महोदया बताया कि रविन्द्रनाथ टैगोर बहुत ही दयालु एवं संवेदनशील व्यक्ति थे| उनकी गीतांजली पुस्तक कई भाषाओँ में अनुवादित हुई है| उन्होंने कई उपन्यास, निबंध और कहानियां भी लिखें है जिसमें काबुलीवाला डाकघर काफी प्रसिद्ध है |सामूहिक गीत नुपुर, प्रीति, शिवानी, लक्ष्मी पोलाई और गौरी द्वारा प्रस्तुत किया गया|

अमीषा पारेया, आयुष पराशर ने काव्य पाठ किया| संगीता शिक्षिका अमृता चौधरी एवं छात्रों द्वारा बांग्ला गीत की प्रस्तुति की गई| कार्यक्रम का उद्देश्य रविन्द्रनाथ टैगोर को श्रद्धांजलि देना था| छात्रा कविता कुमारी सुंडी एवं बुसरा नाज़ द्वारा पीपीटी प्रस्तुत किया गया| इस अवसर पर कॉलेज की सचिव श्रीमती श्रीप्रिया धर्मराजन, सह-सचिव सुधा दिलीप, प्राचार्या डॉ. जूही समर्पिता,  उप प्राचार्या डॉ.मोनिका उप्पल, शिक्षकगण, छात्र छात्राएं एवं सभी कर्मचारी उपस्थित थे | धन्यवाद ज्ञापन चांदमुनी मुंडा ने किया |

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