Ground Report: अकोला में संघ भूमि से कांग्रेस उम्मीदवार, कारसेवक का बेटा बनाम BJP, उलटफेर की कोशिश में आंबेडकर…

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लोक आलोक न्यूज सेंट्रल डेस्क:- अकोला में मराठा आरक्षण को लेकर कुनबी और मराठा (पाटिल) समुदाय बंटे हुए हैं। वहीं, नवबौद्ध समुदाय प्रकाश आंबेडकर के साथ है। अकोला में जब भी कांग्रेस ने मुस्लिम उम्मीदवार उतारा है, उसका सीधा फायदा भाजपा को मिला है
अकोला में पिछले चुनाव में धार्मिक ध्रुवीकरण के बल पर भाजपा ने चौका लगाया था। पर, इस बार यहां हिंदुत्व की लहर नहीं, जातिवाद की बहार है। भाजपा के संजय धोत्रे 2004 से यहां जीतते रहे हैं। इस बार भाजपा ने उनके पुत्र अनूप धोत्रे को उतारा है। अनूप का मुकाबला डॉ. अभय पाटिल से है, जिनके पिता राममंदिर आंदोलन में कारसेवक रह चुके हैं। अकोला में वंचित बहुजन आघाड़ी (वीबीए) के नेता प्रकाश आंबेडकर 11वीं बार चुनाव मैदान में हैं, जिससे यहां लड़ाई त्रिकोणीय हो गई है। भाजपा जहां अपना प्रभुत्व कायम रखने की लड़ाई लड़ रही है, वहीं वीबीए और कांग्रेस के सामने उलटफेर की चुनौती है।
अकोला में मराठा आरक्षण को लेकर कुनबी और मराठा (पाटिल) समुदाय बंटे हुए हैं। वहीं, नवबौद्ध समुदाय प्रकाश आंबेडकर के साथ है। अकोला में जब भी कांग्रेस ने मुस्लिम उम्मीदवार उतारा है, उसका सीधा फायदा भाजपा को मिला है। हालांकि, इस बार कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. अभय पाटिल संघ की पृष्ठभूमि से आते हैं। उनके पिता डॉ. एसके पाटिल विहिप विदर्भ प्रांत के अध्यक्ष रहे हैं। अभय 2019 से कांग्रेस में हैं, पर संघ की विचारधारा से किनारा नहीं किया है। उनके प्रतिद्वंद्वी अनूप धोत्रे को राजनीति में नौसिखिया माना जा रहा है। धोत्रे की उम्मीदवारी से भाजपा में असंतोष भी उभरा था। हालांकि, संघ और पार्टी कैडर का उन्हें पूरा साथ मिल रहा है। धोत्रे के लिए मराठा मतों का बंटवारा रोकना बड़ी चुनौती है। प्रकाश आंबेडकर पिछड़ी जातियों और मुस्लिम मतों के सहारे तीसरी बार लोकसभा पहुंचने के लिए जोर लगा रहे हैं।

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कांग्रेस और वीबीए की मुस्लिम वोटों पर नजर
मराठा (पाटिल) और कुनबी (मराठा) समुदाय को मिलाकर अकोला संसदीय क्षेत्र में लगभग पांच लाख वोटर हैं। मुस्लिम तीन लाख से अधिक हैं। वहीं, माली, वंजारा, आदिवासी और हिंदीभाषी भी बड़ी संख्या में हैं। यहां कुनबी समुदाय के मतों को निर्णायक माना जा रहा है। मुस्लिम मतदाताओं पर कांग्रेस और वीबीए दोनों की नजर है। आंबेडकर ने सोशल इंजीनियरिंग के जरिये जिला परिषद पर कब्जा जमाया है। वहीं, एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने भी आंबेडकर को समर्थन दिया है। हालांकि, ज्यादातर मुस्लिम कांग्रेस से जुड़े हैं। ऐसे में वोटों में बंटवारा होने का लाभ भाजपा को मिल सकता है।
मुद्दा बने विकास बेरोजगारी और पानी
बालापुर तालुका के निमकरदा निवासी बाल रावणकर कहते हैं, क्षेत्र में विकास का कोई काम नहीं हुआ। सिंचाई की समस्या है, पर कृषि आधारित कोई प्रोजेक्ट नहीं है। बेरोजगारी और पेयजल संकट भी मुद्दा हैं। इसलिए, भाजपा विरोधी माहौल है। अकोला निवासी और प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुधीर ढोणे कहते हैं, कांग्रेस इस बार इतिहास बनाएगी। अकोला में पीढ़ियों से रह रहे ओम प्रकाश तिवारी लड़ाई को त्रिकोणीय बताते हैं। कहते हैं, दो बार कांग्रेस से मुस्लिम प्रत्याशी होने के कारण ध्रुवीकरण हुआ और भाजपा 49% मत पाने में कामयाब हुई थी। लेकिन, इस बार कांग्रेस और भाजपा दोनों के उम्मीदवार मराठा (पाटिल) समुदाय से हैं। ऐसे में लड़ाई दिलचस्प हो गई है। सभी प्रत्याशी जातीय समीकरण को साधने में जुटे हैं।

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कॉटन सिटी में 1989 में पहली बार खुला था भाजपा का खाता
ताप्ती नदी घाटी व मुरना नदी से घिरा अकोला कपास उत्पादन में अव्वल है। इसे कॉटन सिटी के नाम से भी जाना जाता है। सियासी परिदृश्य की बात करें, तो 1952 से 1977 तक यह सीट कांग्रेस के कब्जे में थी। 1989 में पहली बार भाजपा का खाता खुला। 1996 तक सीट भाजपा के पास रही। उसके बाद कांग्रेस के समर्थन से प्रकाश आंबेडकर दो बार चुनाव जीते। लेकिन, 2004 से भाजपा के संजय धोत्रे लगातार चार बार जीते।
पिछले दो चुनावों का हाल
2019
संजय धोत्रे भाजपा 5.54 लाख
प्रकाश आंबेडकर वीबीए 2.78 लाख
2014
संजय धोत्रे भाजपा 4.56 लाख
हिदायतुल्ला पटेल कांग्रेस 2.53 लाख

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