युवा शिविर का चौथा दिन,लोकहित और सहमति लोकतंत्र की बुनियाद है
महाराष्ट्र (संवाददाता ):- शिविर का चौथा दिन काफी काफी व्यस्त रहा,क्योंकि सुबह के सत्र में सेवाग्राम एवं वर्धा स्थित गांधी संस्थाओं के परिभ्रमण का कार्यक्रम था। सभी सहभागियों को चार टोली में बांट दिया गया और वे सभी परमधाम आश्रम,पवनार; ग्राम निर्माण मंडल, गोपुरी; मगन संग्रहालय, वर्धा तथा बापू कुटी घूमने गए। यह घूमना क्या था,अध्ययन ही था- गांधी की सोच का और गांधी परंपरा के कार्यक्रमों का।विनोवा जी का पवनार स्थित परमधाम आश्रम में जाने के बाद धर्म ,जाति, देश या अन्य किसी भेद से परे जाकर एकत्व की आध्यात्मिक अनुभूति होती है। विनोबा ने माना कि स्त्री और पुरुष दोनों को सन्यास का अधिकार है। परमधाम आश्रम पूरी तरह से स्त्रियों द्वारा संचालित होता है।दुनिया में किसी और संत ने शायद ही स्त्रियों के बारे में इतनी गरिमामयी सोच को स्थापित किया हो,यह अद्भुत है। उसी तरह से ग्राम निर्माण मंडल आज भी तकली उत्पादन का एकमात्र केंद्र बना हुआ है और विभिन्न प्रकार के चरखे और करघे यहां बनाए जाते हैं। सरकारी संस्था न होने की वजह से कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है पर इसकी स्वायत्तता और गरिमा आज भी कायम है।मगनवाड़ी, जहां गांधीजी साबरमती छोड़ने के बाद आकर रुके थे, वह तो गांधी का अनजाना व अनदेखा पहलू ही लगा।गांधी ने यहां विज्ञान और तकनीक के अद्भुत प्रयोग किए। उन्होंने मधुमक्खियों पर शोध किया,पशुओं के नस्ल सुधार पर काम किया।शाम के सत्र में श्रीकांत बाराहाते ने ‘गांधी और लोकतंत्र’विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि लोकहित ही लोकतंत्र का बुनियादी तत्व है। यह सभी हिंदुस्तानियों के लिए है, सिर्फ बहुमत का नहीं है। गांधीजी ने इसीलिए हमेशा सहमति की पद्धति को ही श्रेष्ठ माना है। वे बहुमतवाद के खतरे को जानते थे। भारत विभिन्न संस्कृतियों, जातियों,धर्मों और भाषाओं की खूबसूरती के साथ बना हुआ देश है,इसे अगर बहुमत के आधार पर चलाने की कोशिश होगी तो वह बिखर जाएगा। इसलिए सबकी आज के शिविर में सहमति और सहभाग से ही लोकतंत्र का स्वरूप बनेगा,ऐसी गांधी की धारणा थी।आज शिविर में लोकेश गुप्ता,यशपाल कपूर, कौस्तुभ, रूपा कुमारी,वंदिता,उज्जल,विकास, हसनैन, अमन, विक्रम कुमार कृष्णकांत, सृष्टि,अखिलेश मानव ने सक्रिय रूप से भाग लिया।