झारखंड में 60 / 40 के मामले में सामने आए पूर्व डीआईजी राजीव रंजन सिंह , झारखंड सदान मंच बनाने की कही बात…
रांची / जमशेदपुर :- झारखंड की नियोजन नीति, झारखंड की स्थानीयता नीति को लेकर झारखंड में नए नए विवाद उत्पन्न हो रहा है। आंकड़ों के अनुसार अगर झारखंड की जनसांख्यिकी देखे तो झारखंड में सामान्य 16% ओबीसी 46%, एसटी 26%, एससी 12% है।
लेकिन आज ऐसा दिख रहा है की झारखंड के 1932 के खतियानी जो सदान है,उनका झारखंड में कोई वजूद ही नहीं है। इसका जीता जागता उदाहरण सरकार की नियोजन नीति जो 60:40 की लाई गई है उसमें बार बार यह कहना की 60% भीतरी और 40% बाहरी यह दर्शाता है की 40% बाहरी कहकर यहां के सदान जो सामान्य श्रेणी में आते जो झारखंड के सदान है,1932 के खतियानी भी है,इससे उनकी भावनाओ को ठेस पहुंचाया जा रहा है। उक्त बातें कोल्हान के पूर्व डीआईजी राजीव रंजन सिंह ने कहा ।
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को कोई भी वक्तव्य देने से पहले यह स्पष्ट करना चाहिए की 40% बाहरी आप किसे कह रहे है? झारखंड में रहने वाले सदान जो यहां सदियों से रह रहे हैं,भले ही वो सामान्य श्रेणी से आते हो,क्या वो झारखंड के नहीं है?
तो यह नीति आज स्पष्ट करने की जरूरत ताकि यहां के युवाओं में जो भ्रम फैल रहा है,यहां के युवा भ्रमित हो रहे है,समझ नही पा रहे है नियोजन नीति को,उसको दूर किया जा सके।
सरकार को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए की 40% यहां के सदानों के लिए है,न की बाहरी के लिए। सरकार को वक्तव्य देते हुए यह स्पष्ट करना चाहिए की यहां के जो जनरल सीट है वह झारखंड के रहने वाले का है ,न की पूरे भारत वर्ष का। चूंकि सारी राजनैतिक पार्टी अलग अलग तरीके से भ्रम फैला रही है। अब जरूरी है की झारखंड के सदान इस संबंध में आपस में विचार विमर्श करे और एक मंच पर आए। झारखंड में उन्हें बार बार बाहरी कहने का प्रचलन हो गया है उसे समाप्त करे।अगर आज हम सभी एक नहीं हुए तो आने वाली पीढ़ी कभी माफ नहीं करेगी। अतः बहुत जरूरी है की झारखंड सदान मंच का गठन किया जाए जिसमें सभी जाति,वर्ग के लोग और झारखंड के मूल निवासी हो, सभी को मिलकर एक झारखंड सदान मंच बनाया जाए। इसकी परिचर्चा कल शाम रांची में की गई जो आने वाले समय की मिल का पत्थर साबित होगा।