कुड़मी समाज को आदिवासी सूची में शामिल करने और कुड़माली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग पर पिछले पांच दिनों से चल रहे रेल व सड़क जाम आंदोलन लिया गया वापस

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पुरुलिया: कुड़मी समाज को आदिवासी सूची में शामिल करने और कुड़माली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग पर पिछले पांच दिनों से चल रहे रेल व सड़क जाम आंदोलन वापस ले लिया गया है. रविवार दोपहर को आदिवासी कुड़मी समाज का मूल मानता अजीत प्रसाद महतो ने बताया कि पुरुलिया जिला के डीएम रजत नंदा व एसपी अभिजीत बनर्जी की समाज के प्रतिनिधि मंडल के साथ बैठक हुई.बैठक में प्रशासन की ओर से बताया गया कि पश्चिम बंगाल सरकार के मुख्य सचिव ने समाज के प्रतिनिधिमंडल को वार्ता के लिए समय दिया है. समाज के प्रतिनिधिमंडल और राज्य के मुख्य सचिव के बीच सोमवार को कोलकाता में वार्ता होगी. मुख्य सचिव द्वारा वार्ता के लिए बुलाने के साथ आंदोलन वापस लेने की अपील की.

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इसके बाद समाज ने अपना आंदोलन वापस ले लिया.अजीत प्रसाद महतो ने बताया कि रविवार को संगठन के केंद्रीय समिति बैठक में फैसला लिया गया है कि दक्षिण पूर्व रेल का कुस्तोर एवं खेमाशुली स्टेशन समेत विभिन्न सड़कों पर चल रहे आदिवासी कुड़मी समाज का अवरोध आंदोलन को वापस ले लिया गया है. उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से बहुत दबाव डाला जा रहा था, धमकी दी जा रही थी कि आंदोलन करने वाले नौकरीपेशा और कारोबारियों पर संकट आ सकता है. सेंट्रल फोर्स बुलाकर सभी को हटा दिया जाएगा.

सरकार की तरफ से कोई भी सहयोग नहीं मिल रहा था. सभी बात को ध्यान में रखते हुए आदिवासी कुड़मी समाज ने आंदोलन को वापस लेने का फैसला लिया है और सभी को कहा गया है अपने घर लौट जाए. एसटी का दर्जा प्राप्त करने के लिए आदिवासी कुड़मी समाज का आंदोलन जारी रहेगा, सरकार ने सीआरआई संशोधित रिपोर्ट केंद्र सरकार के पास अभी तक नहीं भेजी है, संगठन के केंद्रीय समिति के साथ बैठक कर आगामी आंदोलन के लिए रणनीति तैयार की जाएगी.

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