निजी सिक्योरिटी गार्ड का शोषण चरम पर, एजेंसी, नियोक्ता एवं श्रम विभाग के पदाधिकारी जिम्मेवार- पुरेंद्र
आदित्यपुर :- औद्योगिक इकाइयों, वाणिज्यिक संस्थानों एवं अन्य स्थानों पर कार्यरत निजी सिक्योरिटी एजेंसी का शोषण चरम सीमा पर है। इसके लिए एक तरफ जहां एजेंसी एवं नियोक्ता जिम्मेवार है, वही श्रम विभाग के अधिकारियों की मिली भगत से भी इनकार नहीं किया जा सकता है- उक्त बातें संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए आदित्यपुर नगर परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष सह राजद के प्रदेश महासचिव पुरेंद्र नारायण सिंह ने कही।
उन्होंने कहा कि 90% निजी सुरक्षा एजेंसी अपने सुरक्षा कर्मियों को न्यूनतम वेतन भी नहीं देती है, उल्टे 8 घंटा के बदले 9-12 घंटे काम लेती है। नौकरी से हटाए जाने और कोई दूसरे एजेंसी में काम नहीं मिलने के डर से निजी सुरक्षा गार्ड शिकायत नहीं कर पाते हैं। अगर कोई निजी सुरक्षा गार्ड न्यूनतम मजदूरी की शिकायत करता है, तो ज्यादातर मामलों में श्रम विभाग के पदाधिकारी एजेंसी मालिकों एवं नियोक्ताओं से मिलकर कानूनी दाव पेंच का चक्कर लगवाकर शिकायतकर्ता को समझौते के लिए मजबूर कर देते हैं। उन्होंने कहा कि न्यूनतम मजदूरी नहीं दिए जाने के मामले में निजी सुरक्षा एजेंसियों से ज्यादा ज्यादातर मामलों में नियोक्ता जिम्मेवार है। क्योंकि नियोक्ता एजेंसियों को न्यूनतम मजदूरी और सर्विस चार्ज नहीं देते हैं।
पुरेंद्र नारायण सिंह ने सरकार से संबंधित अधिकारियों एवं श्रम विभाग को सघन जांच करने का निर्देश दिए जाने एवं निजी सुरक्षा गार्ड्स को न्यूनतम मजदूरी सुनिश्चित किए जाने की मांग की है। उन्होंने सरकार से यह भी मांग किया कि जो श्रम विभाग के अधिकारी निजी सुरक्षा गार्ड्स को न्याय दिलाने में कोताही बरतते हो, उन पर विभागीय कार्रवाई की जाए। प्रेस कॉन्फ्रेंस में पुरेंद्र नारायण सिंह के अलावे कुमार विपिन बिहारी प्रसाद ,देव प्रकाश, अधिवक्ता संजय कुमार उपस्थित थे।