आरपीएफ के जवान की समझदारी से एक भिखारी को मिला घर जाने का मौका..खुशी का ठिकाना नहीं…
लोक आलोक न्यूज सेंट्रल डेस्क:- कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर एक युवक मैले-कुचौले कपड़े पहनकर बैठा हुआ था. आरपीएफ के एक दारोगा की नजर युवक पर पड़ी तो अपनी टीम के साथ उसके पास पहुंचे. भिखारी समझकर उसे पानी पिलाया. पानी पीने के बाद भिखारी ने कुछ ऐसा बोला कि अधिकारी पूछताछ करने लगे. पूछताछ में बेहद चौंकाने वाली कहानी सामने आई.
कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर एक शख्स मैले-कुचौले कपड़े और बढ़ी हुई दाढ़ी के साथ थका-प्यासा बैठा हुआ था. आरपीएफ के एक दारोगा की नजर युवक पर पड़ी तो उन्होंने भिखारी समझकर उसे पानी पिलाया. पानी पीने के बाद जब भिखारी ने अंग्रेजी में थैंक्यू बोलकर धन्यवाद दिया तो अधिकारी भी हैरान रह गए. पूछताछ करने पर उसने ऐसी चौंकाने वाली कहानी सुनाई, जिसे सुनकर रोंगटे खड़े हो गए.
कानपुर जीआरपी पुलिस-आरपीएफ प्रभारी बीपी सिंह ने बताया कि आरपीएफ दारोगा असलम खान, एएसआई हरिशंकर त्रिपाठी और दारोगा आरती कुमारी के साथ स्टेशन एरिया का गश्त कर रहे थे. इसी दौरान अधिकारियों को गेट नंबर दो के पास एक भिखारी दिखाई दिया. भिखारी फटे-पुराने कपड़े पहने हुए था. देखने पर युवक भिखारी प्रतीत हो रहा था. जब अफसर उसके पास पहुंचे तो युवक ने पीने के लिए पानी मांगा. जैसे ही अधिकारियों ने उसे पानी पिलवाया, युवक ने अंग्रेजी में थैंक्यू बोलकर ध्यान खींचा.
युवक ने बताई रोंगटे खड़े करने वाली आपबीती
अधिकारियों ने युवक से पूछताछ शुरू की तो उसने बताया कि उसका नाम महावीर सिंह पुत्र स्व. राम अवतार सिंह है. वह ग्राम सामायन, थाना विधूना, जिला औरैया (उत्तर प्रदेश) का रहने वाला है. लगभग दो साल पहले 26 जून 2022 को वह अपने घर से एटीएम से पैसे निकालने के लिए बिधूना गया था. जब वह बिधूना पहुंचा तो वहां पर सभी एटीएम मशीनें बंद थीं. फिर वह अपने मित्र महेंद्र की दुकान पर पहुंचा और अपने आधार कार्ड से पैसे निकाले. वापस लौटते समय जब वह हरिचंदापुर में घर जाने के लिए बस का इंतजार कर रहा था, तभी एक चार पहिया वाहन उसके पास आकर रुका. वाहन से उतरकर एक व्यक्ति ने पीछे से उसे जकड़ लिया और उसके मुंह पर रूमाल रख दिया था. रुमाल रखते ही वह बेहोश हो गया. जब उसे होश आया तो तब वह एक बाथरूम में बंद था और वहां पर बहुत अंधेरा था.
वहां पर दो व्यक्तियों ने उससे मारपीट की और एटीएम कार्ड तथा मोबाइल फोन ले लिया. एटीएम का पिन पूछा. कुछ दिनों बाद उससे कंस्ट्रक्शन साइट पर बंधुआ मजदूरों की तरह काम करवाया जाने लगा. सुबह गाड़ी से लेकर जाते थे और शाम को वापस लाकर छोड़ देते थे. भाषा से ऐसा लगा कि जैसे वह साउथ इंडिया में किसी जगह पर था. इस तरह से वह दो साल तक बंधक रहा. फिर किसी तरह कुछ दिन पहले वहां से भाग निकला. कई दिनों तक भूखे-प्यासे पैदल चला. फिर एक छोटे से स्टेशन पर पहुंचा और वहां से कई ट्रेनें बदलकर दरभंगा पहुंचा. दरभंगा से कानपुर आया.
युवक को खुशी-खुशी घर ले गए परिजन
युवक महावीर की आपबीती सुनकर अधिकारी सन्न रह गए. उन्होंने युवक से उसके घर के सदस्यों का मोबाइल नंबर पूछा. युवक ने चचेरे भाई रवीन्द्र सिंह का मोबाइल नंबर बताया. अधिकारियों ने उस नंबर पर युवक की बात कराई तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. महावीर के परिजन आनन-फानन में कानपुर पहुंचे और उसे खुशी खुशी घर लेकर चले गए.