सीएम के हस्तक्षेप के बावजूद अस्पताल प्रबंधन ने रोकी बॉडी, भुगतान के बाद ही छोड़ा

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राँची :- झारखण्ड राज्य में प्राइवेट हॉस्पिटलों की मनमानी कम होने का नाम ही नहीं ले रही है. कहीं इलाज के नाम पर तो कहीं मरीजों को डरा धमका कर पैसे वसूले जा रहे हैं. वही कुछ हॉस्पिटल में बिल के कारण शव रोकने के लिए मामले सामने आए हैं. ताजा मामला सिटी के राज हॉस्पिटल का है, जहां हॉस्पिटल के 5 लाख के बिल के लिए एक कोरोना संक्रमित का शव रोक लिया गया. परिजन हॉस्पिटल का बिल चुकाने को तैयार थे, लेकिन इसके लिए कुछ दिन की मोहलत मांगी. लेकिन प्रबंधन को यह मंजूर नहीं था और उसने संक्रमित का शव देने से साफ इनकार कर दिया. साथ ही कहा कि बिल चुकाने के बाद ही उनका शव परिजनों को सौंपा जाएगा. इसके बाद मामले की जानकारी सीएम हेमंत सोरेन को दी गई. सीएम ने रांची डीसी को तुरंत मामले में कार्रवाई करने का आदेश दिया. परिजनों ने किसी तरह पैसे जमा कर बिल चुकाए तब उन्हें शव सौपा गया. बताते चलें कि हाई कोर्ट के आदेशनुसार बिल के लिए कोई भी हॉस्पिटल शव को नहीं रोक सकता.

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बता दें कि मामला ऐसा है कि दुमका के हिमांशु शेखर मिश्रा को कोविड पॉजिटिव होने के बाद 2 मई को राज हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया था. साथ ही 40 हजार डिपॉजिट भी कराया गया. इलाज के दौरान उनकी स्थिति बिगड़ती जा रही थी. काफी पैसे खर्च होने के बाद आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी. 14 मई को वह ब्लैक फंगस की भी चपेट में आ गए. डॉक्टरों ने बचाने का काफी प्रयास किया लेकिन वे उन्हें नहीं बचा सके. रविवार को इलाज के दौरान राज हॉस्पिटल में उनकी मौत हो गई. इसके बाद हॉस्पिटल प्रबंधन ने उन्हें भारी-भरकम बिल थमा दिया. परिजन बिल देने को तैयार थे लेकिन इसके लिए उन्होंने कुछ मोहलत देने की मांग की. लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने नहीं माना और आखिरकार बिल देने के बाद ही शव को लौटाया .

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