प्रत्याशियों की किस्मत का काउंटडाउन: आज झारखंड में किसके सिर सजेगा ताज?

0
Advertisements
Advertisements

झारखंड: झारखंड विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया समाप्त होने के साथ ही प्रत्याशियों और जनता के लिए सबसे महत्वपूर्ण क्षण करीब आ गया है। जहां आज सुबह से मतगणना शुरू हो  चुकी है और कई जगह के शुरुआती रुझान भी आने शुरू हो गए हैं। उमीद है की देर शाम तक   राज्य की राजनीति की तस्वीर साफ हो जाएगी। झारखंड में सत्ता की लड़ाई हर बार की तरह इस बार भी दिलचस्प रही है। राजनीतिक पार्टियों ने चुनावी मैदान में अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी, लेकिन अब फैसला जनता के हाथों में है।

Advertisements
Advertisements

झारखंड में सत्ता की लड़ाई

झारखंड विधानसभा की 81 सीटों पर हुए चुनाव में मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो)-कांग्रेस-राजद गठबंधन और अन्य क्षेत्रीय पार्टियों के बीच है। भाजपा राज्य में सत्ता बचाने की कोशिश कर रही है, जबकि विपक्षी दल बदलाव की बयार लाने की उम्मीद में हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झामुमो-कांग्रेस गठबंधन और भाजपा के बीच सीधी टक्कर देखने को मिल रही है।

मुख्यमंत्री पद को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है। भाजपा ने अपने विकास कार्यों और स्थिर सरकार के एजेंडे पर वोट मांगे, जबकि विपक्ष ने रोजगार, आदिवासी अधिकार, और महंगाई जैसे मुद्दों को प्रमुखता दी। ऐसे में जनता ने किसे अपना विश्वास दिया, यह देखने लायक होगा।

कोल्हान क्षेत्र की अहम भूमिका

झारखंड के चुनावों में कोल्हान क्षेत्र हमेशा से निर्णायक भूमिका निभाता आया है। इस क्षेत्र में कुल 14 विधानसभा सीटें हैं, जो राज्य की राजनीति में बड़ा प्रभाव डालती हैं। कोल्हान आदिवासी बहुल इलाका है और झामुमो का परंपरागत गढ़ माना जाता है। लेकिन भाजपा ने पिछले चुनाव में इस क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन किया था, जिसे इस बार विपक्ष ने चुनौती दी है।

See also  बोड़ाम में टेंपो और बाइक में टक्कर, एक की मौत, दो गंभीर

इस बार कोल्हान के मुद्दों में जमीन अधिग्रहण, आदिवासी संस्कृति की रक्षा, और रोजगार प्रमुख रहे। झामुमो और कांग्रेस ने स्थानीय लोगों से जुड़े मुद्दों को जोर-शोर से उठाया, जबकि भाजपा ने विकास परियोजनाओं और योजनाओं का हवाला दिया।

कौन होगा मुख्यमंत्री?

राज्य की राजनीति में मुख्यमंत्री पद का सवाल सबसे बड़ा है। हेमंत सोरेन, जो वर्तमान मुख्यमंत्री और झामुमो के प्रमुख हैं, अपने कार्यकाल में कई योजनाओं और फैसलों के लिए चर्चा में रहे। दूसरी ओर, भाजपा ने अपने मुख्यमंत्री उम्मीदवार की घोषणा नहीं की, लेकिन माना जा रहा है कि पार्टी जीतने पर अनुभव और युवा जोश के बीच संतुलन साधने का प्रयास करेगी।

कई छोटे दल और निर्दलीय उम्मीदवार भी सत्ता की चाबी अपने हाथों में रखने की स्थिति में आ सकते हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि सत्ता के समीकरण कैसे बनते हैं और गठबंधन की राजनीति किस दिशा में जाती है।

चुनावी मुद्दे और जनता की प्राथमिकता

झारखंड चुनाव में रोजगार, पलायन, आदिवासी अधिकार, खनिज संपदा की लूट, और विकास कार्यों की गति प्रमुख मुद्दे रहे। ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों की समस्याओं और जल, जंगल, जमीन के मुद्दों ने चुनावी माहौल को गर्माया। वहीं शहरी इलाकों में बुनियादी ढांचा, स्वास्थ्य सेवाएं और रोजगार प्रमुख मुद्दे बने।

जनता ने अपने वोट के जरिए यह तय कर दिया है कि वे किसे अगले पांच साल के लिए अपना नेता देखना चाहती हैं। अब यह देखना बाकी है कि मतगणना के बाद परिणाम किसे विजेता घोषित करते हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों की नजरें

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि झारखंड में इस बार कड़ी टक्कर है। भाजपा जहां अपने मजबूत संगठन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता पर भरोसा कर रही है, वहीं विपक्षी दलों ने क्षेत्रीय मुद्दों और हेमंत सोरेन की जनाधार वाली छवि पर दांव खेला है।

See also  गम्हरिया में इंडिगो कंपनी सील करने पहुंची बैंक टीम बैरंग लौटी

अगर भाजपा जीतती है, तो यह राज्य में उसकी पकड़ को और मजबूत करेगा। वहीं, झामुमो-कांग्रेस गठबंधन की जीत बदलाव की बयार को दर्शाएगी। परिणाम चाहे जो भी हो, यह तय है कि झारखंड की राजनीति में अगले कुछ दिन बेहद रोमांचक रहने वाले हैं।

क्या कहती हैं जनता की उम्मीदें?

झारखंड की जनता इस बार विकास और स्थिरता के साथ अपने अधिकारों की रक्षा की उम्मीद कर रही है। आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्र के लोग जल, जंगल, जमीन से जुड़े मुद्दों पर फैसले की आस लगाए बैठे हैं। शहरी इलाकों में युवा रोजगार और बेहतर जीवन स्तर की मांग कर रहे हैं।

नतीजों का असर

झारखंड के चुनावी नतीजे न केवल राज्य की राजनीति बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी अहम असर डाल सकते हैं। इससे यह भी तय होगा कि भाजपा अपनी पकड़ बनाए रखती है या विपक्ष को एक नई ताकत मिलती है।

 

Thanks for your Feedback!

You may have missed