अभिमन्यु ईश्वरन  को लेकर टीम इंडिया में गहराया विवाद

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स्पोर्ट्स ( श्रुति शर्मा ):- इंग्लैंड दौरे पर गयी टीम इंडिया और चयनसमिति के बीच विवाद गहराता नजर आ रहा है. विवाद बंगाल के सलामी बल्लेबाज अभिमन्यु ईश्वरन  को लेकर है. दरअसल शुभमन गिल  के चोटिल होने के बाद ईश्वरन को इंग्लैंड दौरे पर भेजा जा रहा है.
जबकि कप्तान विराट कोहली  और टीम प्रबंधन ने अन्य खिलाड़ी को लेकर अपनी इच्छा रखी थी. लेकिन चेतन शर्मा की अगुवाई वाली राष्ट्रीय चयनसमिति ने उसे ठुकरा दिया है.

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हालांकि यह कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी बीसीसीआई ने कप्तान की इच्छा को ठुकराया है. इससे पहले भी ऐसे वाकये होते रहे हैं जब कप्तान को उनकी पसंद का खिलाड़ी नहीं मिल पाया और उनकी चयनकर्ताओं के साथ तनातनी हो गयी.
इससे पहले 60 के दशक के आखिरी में ऐसा ही मामला सामने आया था. जब बंगाल के विकेटकीपर रूसी जीजीभाइ, जिन्होंने 46 प्रथम श्रेणी मैच खेले थे और बल्लेबाजी में उनका औसत 10.46 था. उन्हें भारत के 1971 के वेस्टइंडीज दौरे के लिये चुना गया था. जो उनका पहला और आखिरी दौरा साबित हुआ.

उसी तरह बंगाल के पूर्व कप्तान संबरन बनर्जी ने बताया कि 1979 में सुरिंदर खन्ना के साथ उनका इंग्लैंड दौरे पर जाना तय था लेकिन आखिर में तमिलनाडु के भरत रेड्डी को चुन लिया गया.

उसी तरह कपिल देव ने 1986 के इंग्लैंड दौरे पर मनोज प्रभाकर की जगह मदन लाल को टीम में शामिल करवा दिया था जो तब इंग्लैंड में क्लब क्रिकेट खेल रहे थे. कप्तान मोहम्मद अजहरूद्दीन और कोच संदीप पाटिल 1996 में सौरव गांगुली को इंग्लैंड ले जाने के पक्ष में नहीं थे लेकिन संबरन बनर्जी तब चयनकर्ता थे और वह चयनसमिति के तत्कालीन अध्यक्ष गुंडप्पा विश्वनाथ और किशन रूंगटा को मनाने में सफल रहे थे.

सहारा कप 1997 के दौरान कप्तान सचिन तेंदुलकर और टीम प्रबंधन मध्यप्रदेश के आलराउंडर जय प्रकाश (जेपी) यादव को टीम में चाहते थे लेकिन चयन समिति के संयोजक ज्योति वाजपेई ने अपने राज्य उत्तर प्रदेश के ज्योति प्रकाश (जेपी) यादव को भेज दिया. ज्योति को एक भी मैच खेलने का मौका नहीं मिला.

इसी तरह से तेंदुलकर को 1997 के वेस्टइंडीज दौरे में अपनी पसंद का आफ स्पिनर नहीं मिला था. तब हैदराबाद के एक चयनकर्ता ने नोएल डेविड का चयन पर जोर दिया था जिनका करियर चार वनडे तक सीमित रहा.

महेंद्र सिंह धौनी ने 2011 में मियामी में छुट्टियां मना रहे अपने दोस्त रुद्र प्रताप सिंह को टेस्ट टीम में शामिल करवा दिया था. आरपी सिंह कुछ खास नहीं कर पाये और इसके बाद फिर कभी टेस्ट मैच नहीं खेले.

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