क्लाइमेट चेंज है दुनिया के लिए खतरे की घंटी, ग्रीन एनर्जी है बड़ा विकल्प : प्रो. एके बनर्जी

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जमशेदपुर : एक्सएलआरआइ में दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया. क्लाइमेट चेंज एंड एनर्जी ट्रांजिशन विषयक इस कॉन्फ्रेंस में भारत के साथ ही विदेशी यूनिवर्सिटी व कंपनियों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. दो दिवसीय इस सेमिनार के दौरान मुख्य रूप से यह बात उभर कर सामने आई कि क्लाइमेट चेंज का खतरा सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर बढ़ा है. इस खतरे को कम करने के लिए जरूरी है कि हरित ऊर्जा ( ग्रीन एनर्जी ) को बढ़ावा दिया जाए. इसमें इंडस्ट्री सेक्टर का भी रोल महत्वपूर्ण है. कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन प्रो. एके बनर्जी ने कहा कि एकेडमिया और इंडस्ट्री के बीच बड़ा गैप है. क्लाइमेट चेंज को इसमें महत्वपूर्ण स्थान देकर काफी हद तक क्लाइमेट रिस्क को कम किया जा सकता है. एडीएल की रिपोर्ट ‘पावरिंग इंडियाज एनर्जी विजन-2030’ में कहा गया है कि भारत को 2030 तक 500 गीगावॉट की स्वच्छ ऊर्जा क्षमता हासिल करने के लिए 300 अरब डॉलर के अतिरिक्त रणनीतिक निवेश की जरूरत है. ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए एकेडमी और इंडस्ट्री दोनों को मिल कर एक साथ काम करना होगा. इस दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन एक्सएलआरआइ के डीन फाइनांस फादर डोनाल्ड डिसिल्वा ने किया. उन्होंने वैश्विक हितों के मुद्दों पर एक्सएलआरआइ द्वारा संवेदनशील रहने से जुड़ी बातें कही. इस दौरान कई पेपर भी प्रेजेंट किए गए. क्वीन मैरी स्कूल ऑफ बिजनेस एंड मैनेजमेंट के प्रोफेसर सुशांत मलिक ने भी कई महत्वपूर्ण बातें रखी. दूसरे दिन का समापन सतत विकास, उद्योग 4.0, प्रोजेक्ट फंडिंग और स्टार्टअप पहल पर एक पैनल डिस्कशन और समापन सत्र के साथ हुआ. पैनलिस्टों में टाटा स्टील, डेलॉइट टौचे तोहमात्सू इंडिया, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और सोसाइटी जनरल के प्रतिनिधि शामिल थे. पैनलिस्टों ने रणनीतिक विकास और हरित परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए बैंक के साथ महत्वपूर्ण समझौता करने की पहल पर बल दिया. कॉन्फ्रेंस के समापन के अवसर पर बेहतर पेपर प्रस्तुत करने वालों को सम्मानित भी किया गया.

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