झारखंड के राजनीति के चाणक्य सरयू राय ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र , तीन मामलों मे तथ्य के साथ भेजा पत्र , अस्पताल 111 पर कार्रवाई होने के बाद सरयू राय ने उठाया सवाल , जमशेदपुर के सिविल सर्जन भी फसे .. जाने पूरा मामला
जमशेदपुर : झारखंड के राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले सरयू राय अस्पताल 111 पर कार्रवाई होने के बाद एक साथ तीन तथ्यों के साथ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखे है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लिखे अपने पत्र में उन्होंने तीन दस्तावेज और प्रमाण भी लिखा है। पहले मामले में सरयू राय ने मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी उपचार योजना से संबंधित उठाया है। सरयू राय ने बताया है कि मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी उपचार योजना में गड़बड़ियां हो रही है। इस योजना में गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर करने वाले एवं 72,000 रुपये से कम वार्षिक आय वाले परिवारों को विभाग द्वारा सूचीबद्ध रोगों के उपचार हेतु चिकित्सा सहायता प्रदान की जाती है। सहायता राशि सरकार द्वारा अनुबंधित अस्पतालों को अग्रिम भेज दी जाती है जहां रोगी का उपचार होना है या हो रहा है। परंतु जमशेदपुर और आदित्यपुर में कतिपय ऐसे अस्पतालों को भी चिकित्सा राशि भेज दी गई है जो इसके लिये सरकार की सूची में अनुबंधित नहीं है।
सरयू राय ने बताया है कि आदित्यपुर के 111 सेव लाईफ अस्पताल के चेयरमैन डा ओपी आनंद ने इसके बारे में एक पत्र 20।07।2020 को राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता को लिखा था और बताया था कि इस योजना के तहत गैर अनुबंधित अस्पतालों को भी चिकित्सा राशि का भुगतान किया जा रहा है जो नियमानुसार गलत है। इसकी जांच होनी चाहिये और दोषियों पर कार्रवाई होनी चाहिये। इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि डा आनन्द का यह सवाल उठाना स्वास्थ्य विभाग को रास नहीं आया हो, जिसका खामियाजा वे गिरफ्तारी के रूप में भुगत रहे हैं। इसे 111 सेव लाईफ अस्पताल, आदित्युपर के डा आनन्द ने भी पूर्व में उठाया है। दूसरा बिन्दु आदित्यपुर के 111 सेव लाईफ अस्पताल के स्वामी के व्हाट्सएप संवाद से संबंधित है। सरयू राय ने बताया है कि दो व्हाट्सएप संवाद का स्क्रिन शॉट संलग्न है। यह स्क्रिन शॉट सेव लाईफ अस्पताल द्वारा राज्य के स्वास्थ्य मंत्री को 22 अप्रैल, 2021 एवं 29 अप्रैल 2021 को भेजा गया है। इस व्हाट्सएप संवाद में उन्होंने मंत्री से निवेदन किया है कि ”आपका नाम लेकर लोग उनपर बिल माफ करने का दबाव बनाते हैं, अस्पताल बंद कराने की धमकी देते है और बिल नहीं देते हैं।” यह एक गंभीर मामला है। इसकी जांच आवश्यक है। यह स्पष्ट होना चाहिए कि किन लोगों ने 111 सेव लाइफ अस्पताल को बंद करने की धमकी दी है और मंत्री का नाम लेकर बिल नहीं देने का दबाव बनाया है।
तीसरा मामला पूर्वी सिंहभूम जिला (जमशेदपुर) के सिविल सर्जन द्वारा सरकारी पद से त्याग पत्र दिये बिना बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ने के बारे में है। उन्होंने बताया है कि जमशेदपुर के सिविल सर्जन डा अरविन्द कुमार लाल सरकारी नौकरी में रहते हुए 2005 में बिहार के झंझारपुर विधानसभा क्षेत्र से समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़े। उन्होंने नामांकन में यह नहीं बताया कि वे झारखंड सरकार में पूर्वी सिंहभूम के जिला फाइलेरिया पदाधिकारी हैं। सर्वविदित है कि सरकारी सेवा में रहते हुए कोई व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ सकता। या तो वह त्यागपत्र देकर चुनाव लड़ेगा या बिना त्यागपत्र दिये चुनाव लड़ने के लिए सरकार उस पर कार्रवाई करेगी। इसकी सूचना मिलने पर झारखंड सरकार ने कार्रवाई आरम्भ की। एक पत्र झारखंड सरकार की ओर से बिहार के मधुबनी जिला के जिलाधिकारी सह निर्वाचन पदाधिकारी को भेजा या पत्र को सरयू राय ने मुख्यमंत्री को भेजे गये पत्र में संलग्न किया है। इसके बाद क्या हुआ पता नहीं। इस बारे में सरकार ने डा एके लाल से स्पष्टीकरण पूछा या नहीं यह भी पता नहीं। सरयू राय ने बताया है कि परंतु इतना पता है कि आरोप लगने के बाद भी उनकी प्रोन्नति होती रही, उन्हें सभी प्रकार के लाभ मिलते रहे। प्रोन्नत होकर सम्प्रति वे पूर्वी सिंहभूम जिला के प्रभारी सिविल सर्जन पद पर पदस्थापित है। श्री राय ने बताया है कि यह मात्र संयोग भी हो सकता है कि राज्य के वर्तमान स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता भी 2005 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर ही जमशेदपुर पश्चिम से झारखंड विधानसभा का चुनाव लड़े थे। श्री राय ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि उपर्युक्त तीनों बिन्दु राज्यहित से संबंधित है। दो बिन्दु तो फिलहाल चर्चा का विषय बने डा आनन्द की गिरफ्तारी से संबंधित है। जांचोपरांत उनका मुकदमा न्यायालय में जाता है तो उन्हें जो दंड मिलना है मिलेगा या वे बरी होंगे। दोषी होंगे तो दंडित होंगे, दोषी नहीं होंगे तो बरी होंगे पर उनके विरूद्ध एफआइआर होते ही बिना किसी अनुसंधान के सरायकेला-खरसावां पुलिस द्वारा उन्हें जेल भेज दिया जाना पूर्वाग्रह से प्रेरित प्रतीत होता है। यह अनुचित है। उपर्युक्त बिन्दु-1 और बिन्दु -2 से पूर्वाग्रह के कारण पर रोशनी पड़ती है। श्री राय ने बताया है कि जमशेदपुर के सिविल सर्जन डॉ एके लाल के मामले में आपकी सरकार के पूर्व भी और आपकी सरकार के समय भी झारखंड सरकार के स्वास्थ्य विभाग की कार्य संस्कृति का पता चलता है। श्री राय ने कहा है कि जनहित और राज्यहित में इसमें सुधार होंगे और इसके जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की जरूरत है। नहीं तो यहां के प्रशासन में मनमानी बढ़ेगी। श्री राय ने इस मामले में कार्रवाई की मांग की है। ज्ञात हो कि अपने प्रमाण और दस्तावेजों के जरिये मुख्यमंत्रियों तक को जेल भेजवा देने वाले जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय एक बार फिर से हमलावर है। और इस बार सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता उनके निशाने पर है। देखना यह है कि अब सरयू राय के इस पत्र लिखने के बाद आगे की क्या कार्रवाई की जाती है ।