चंपई सोरेन ने भाजपा में शामिल होते ही संताल परगना में की राजनीतिक हलचल, बांग्लादेशी घुसपैठ को बताया गंभीर मुद्दा…
लोक आलोक सेन्ट्रल डेस्क:पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के भाजपा में शामिल होते ही झारखंड की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के गढ़ माने जाने वाले संताल परगना क्षेत्र में सोरेन ने अपनी पैठ बनानी शुरू कर दी है। उन्होंने बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा जोर-शोर से उठाते हुए इसे क्षेत्र के आदिवासी समाज के लिए गंभीर खतरा बताया है।
सोरेन ने सोमवार को पाकुड़ जिले के डांगापाड़ा फुटबॉल मैदान में आयोजित मांझी परगना महासम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि बांग्लादेशी घुसपैठियों की वजह से संताल परगना की सामाजिक समरसता और आदिवासी संस्कृति खतरे में है। उन्होंने घुसपैठियों को क्षेत्र से निकालने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा, “यह घुसपैठ न केवल सामाजिक ढांचे को कमजोर कर रही है, बल्कि आदिवासी अस्मिता पर भी आघात कर रही है।”
चंपई सोरेन ने आरोप लगाया कि बांग्लादेशी घुसपैठियों के पास न केवल बांग्लादेश के पहचान पत्र हैं, बल्कि उन्होंने झारखंड में भी अलग-अलग पहचान पत्र हासिल कर रखे हैं। उन्होंने इस मुद्दे को गंभीर बताते हुए इसकी जांच की मांग की।
अपने संबोधन के दौरान सोरेन ने वीर शहीद सिदो-कान्हु और चांद-भैरव की संघर्षशीलता का जिक्र करते हुए कहा कि आज का समय भी आदिवासी समाज के अस्तित्व और सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा के लिए संघर्ष का है। उन्होंने स्थानीय मांझी परगना समुदाय से आगे आकर आदिवासी संस्कृति की रक्षा करने का आह्वान किया।
सोरेन ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि पाकुड़ जिले में आदिवासियों की जनसंख्या में लगातार गिरावट आ रही है। उन्होंने इसे चिंताजनक बताते हुए कहा कि इस क्षेत्र के असली मालिक आदिवासी हैं और उन्हें अपनी संस्कृति और परंपराओं की रक्षा के लिए संगठित होना होगा।
उन्होंने अंत में कहा कि आदिवासी-मूलवासियों को एकजुट करते हुए जल्द ही इस मुद्दे पर जनांदोलन की शुरुआत की जाएगी, ताकि सामाजिक संरचना और सांस्कृतिक धरोहर को सुरक्षित रखा जा सके।