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लोक आलोक न्यूज सेंट्रल डेस्क:-भक्तों को सलाह दी जाती है कि वे नवरात्र के छठे दिन जल्दी उठें, स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें। फिर पूजा घर को साफ करें और मां कात्यायनी की प्रतिमा पर ताजे फूल चढ़ाएं। कुमकुम का तिलक लगाएं। इसके बाद वैदिक मंत्रों का जाप और प्रार्थना करें। मां को कमल का फूल अवश्य चढ़ाएं। फिर उन्हें भोग के रूप में शहद चढ़ाएं। आरती से पूजा को पूर्ण करें और क्षमा प्रार्थना करें

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आप ऐसे माता कात्यायनी की स्तुति कर सकते है

”या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः”॥

माना जाता है कि मां कात्यायनी को शहद और पीले रंग का भोग अत्यंत प्रिय है, माता को शहद से तैयार हलवे का भोग लगाना चाहिए भोग तैयार करने के लिए कड़ाही में गाय का घी गर्म करें और उसमें सूजी भुनें दूसरे बर्तन में पानी एक कप पानी चढ़ाएं और उसमें कटे हुए काजू, किशमिश और चिरौंजी डालें. पानी के उबलने पर उसमें भुनी हुई सूजी मिला दें और चीनी की जगह शहद डाल दें हलवा गाढ़ा होने पर आंच बंद कर इलायची पाउडर मिला दें

मां कात्यायनी की विशेष पूजा से कन्या के विवाह में आ रही बाधा दूर हो जाती है। कहते हैं कृष्ण को पति रूप में प्राप्त करने के लिए बृज की गोपियों ने माता कात्यायनी की पूजा की थी। माता कात्यायनी की पूजा से देवगुरु ब्रहस्पति प्रसन्न होते हैं और कन्याओं को अच्छे पति का वरदान देते हैं।

मां कात्यायनी की आरती ऐसा कर सकते हैं

जय जय अम्बे, जय कात्यायनी।

जय जगमाता, जग की महारानी।

बैजनाथ स्थान तुम्हारा।

वहां वरदाती नाम पुकारा।

जय जय अम्बे, जय कात्यायनी।

जय जगमाता, जग की महारानी।

बैजनाथ स्थान तुम्हारा।

वहां वरदाती नाम पुकारा।

कई नाम हैं, कई धाम हैं।

यह स्थान भी तो सुखधाम है।

हर मंदिर में जोत तुम्हारी।

कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।

हर जगह उत्सव होते रहते।

हर मंदिर में भक्त हैं कहते।

कात्यायनी रक्षक काया की।

ग्रंथि काटे मोह माया की।

झूठे मोह से छुड़ाने वाली।

अपना नाम जपाने वाली।

बृहस्पतिवार को पूजा करियो।

ध्यान कात्यायनी का धरियो।

हर संकट को दूर करेगी।

भंडारे भरपूर करेगी।

जो भी मां को भक्त पुकारे।

कात्यायनी सब कष्ट निवारे।

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