सांप्रदायिकता, जातीय भेदभाव, ध्रुवीकरण और बांटने की राजनीति करने वाली भाजपा अपना हार देख एकजुट होने का बात कर रही है – संजय
जमशेदपुर:- धार्मिक उन्माद फैलाकर सांप्रदायिकता के सहारे सत्ता के शिखर पर पहुंचने वाले भाजपा आज अचानक मोहब्बत की बात कैसे करने लगी क्योंकि लोग उनके कथनी और करनी के अंतर को समझ चुके हैं, उनके बंटवारे के राजनीति को देख लिए हैं, और जातीय भेदभाव के सहारे वोट लेने का तरीका को भी अच्छी तरह परख लिए हैं।
कभी एनआरसी, तो कभी घुसबैठ के नाम पर लोगों में डर फैलाकर वोट लेना चाहते हैं। लेकिन जनता है जानती है की बॉर्डर सिक्योरिटी का जिम्मा केंद्र सरकार को होता है, और अभी अमित शाह जी गृह मंत्री हैं। आज भाजपा के लोग जिस घुसपैठ की बात कर रहे हैं, उसको रोकना गृह मंत्रालय का काम है। तो क्या भाजपा के लोग अपनी विफलता को बता रहे हैं। लोग इनके घुसपैठ के बहकावे में नहीं आने वाले हैं और ना ही डरने वाले हैं। भाजपा दूसरे धर्म का डर दिखाकर वोट लेती रही, लेकिन झारखंड में इस बार इनका कोई भी दावा चलने वाला नहीं है।
भाजपा 5 साल में 5 लाख नौकरी देने की बात कर रही है, तो क्या झारखंड की जनता को भाजपा के लोग ये बताएंगे कि 10 सालों में क्या 20 करोड़ रोजगार दे दिया, 15 लाख सबके खाते में डाल दिए, 100 स्मार्ट सिटी बना दिया, किसानों का आए दुगना कर दिया। यह अपने किए गए वादों पर चर्चा नहीं करेंगे, बल्कि लोगों को झांसा में डालने के लिए चकाचौंध भरी नए वादें करते रहेंगे। जिन्हें पूरा करने का मनसा इनका कभी नहीं होता हैं।
आदिवासियों की जनसंख्या घट रही है, इस पर भाजपा के हर नेता का बयान आ रहा है। लेकिन आदिवासियों की आत्मा सरना धर्म कोड को दो बार भेजने के बाद भी रोक रखा है, इस पर चर्चा नहीं करेंगे। जाति जनगणना पर एक शब्द नहीं बोलेंगे। लेकिन ध्रुवीकरण की राजनीति और लोगों में भ्रम फैलाने के लिए लच्छेदार बातें करेंगे, लेकिन पूर्व की भाजपा सरकार और केंद्र सरकार के द्वारा आदिवासियों के हित में कितने कदम उठाए गए हैं, यह नहीं बोलेंगे। क्योंकि इन्होंने सिर्फ बोला है, धरातल पर आदिवासियों के उत्थान के लिए काम कुछ नहीं किया।