राजनगर में मनाई गई उत्कल गौरव मधुसूदन दास की जयंती
सरायकेला: जिले के राजनगर में झारखंड उत्कलीय कला सांस्कृतिक परिषद के तत्वाधान में उत्कल गौरव मधुसूदन दास का जन्मदिन उत्सव मनाया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में वरिष्ठ पत्रकार सह ओड़िया नेतृत्वकर्ता कार्तिक कुमार परिच्छा ने मधु बाबू एवं ओडिशा से अलग हुए तमाम इलाके तथा मौजूदा समय में झारखंड में रह रहे ओड़िया जनमानस की भाषा, कला , संस्कृति व आर्थिक सामाजिक उपेक्षा पर विस्तार से जानकारी दी । उन्होंने उत्कल गौरव मधुसूदन दास के द्वारा बनाए गए अनेक संगठनों के विषय में बोलते हुए इस क्षेत्र में सरकार द्वारा उड़िया भाषा एवं उनके संस्कृति को समाप्त किए जाने की जोरदार विरोध कर वकालत की। उन्होंने कहा अगर मधु बाबू जिंदा होते तो 1936 में सरायकेला खरसावां उड़ीसा का अंग रहता लेकिन वे 1934 को जग को छोड़ चल दिये। इतना ही नहीं सरायकेला खरसावां उड़ीसा का एक राजस्व जिला रहा जिसे आजाद भारत में जबरन बिहार सरकार ने अपने पास रख लिया। झारखंड गठन के समय सन 2000 में उसे ओडिशा लौटाने के बजाय उन्होंने झारखंड के हवाले कर दिया जहां झारखंड सरकार आज तक किसी भी उड़िया संस्था को एक फोटोकॉपी मशीन तक नहीं दी जबकि देश में ओड़िया उत्तर भारत का संस्कृत के बाद शास्त्रीय भाषा है। संस्कृति संरक्षण तो दुर की बात इन दिनों विश्वप्रसिद्ध छऊ कला दम तोड रहा है। जहां भाषा और संस्कृति की संरक्षण की बात है आज ओड़िया का संवैधानिक अधिकार है। इससे पूर्व झारखंड सांस्कृतिक कला परिषद ने भगवान जगन्नाथ उत्कल गौरव मधुसूदन दास के चित्र पर पुष्प अर्पित कर करते हुए कार्यक्रम का आरंभ किया। ईचा राज परिवार के सदस्य प्रदीप सिंहदेव ने मंच संचालन करते हुए मधुसूदन दास को एक ऐतिहासिक पुरुष होने तथा उनके आदर्शों को अनुकरण करने पर बल प्रदान की । बरेई गांव के जगदीश प्रधान ने मधुबाबू के जीवन पर गहरा प्रकाश डाला। संगठन के सचिव राणा ने ओड़िया उपेक्षा पर जोरदार आंदोलन की चेतावनी दी। मौके पर पिंटू रावत,सत्यकिंकर पति,राहुल सतपति, अजय लेंका,सुधीर ज्योतिषी व विजय समेत अन्य उपस्थित थे।